Sonal Mansingh: सोनल मानसिंह की वह अभिलाषा जिसे जानकर रह जाएंगे दंग, जानिए प्रसिद्ध नृत्यांगना और सांसद क्या चाहती हैं
- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक
सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) देश की ऐसी प्रख्यात नृत्यांगना (Dancer) हैं, जो पिछले करीब 60 बरसों से अपनी नृत्य कला के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। देश-विदेश में एक शास्त्रीय नृत्यांगना के रूप में जो लोकप्रियता, जो सम्मान सोनल मनसिंह (Sonal Mansingh) ने अर्जित किया है वह अनुपम है। उनके सम्मान की बड़ी मिसाल यह भी है कि उन्हें जहां पदम भूषण (Padma Bhushan) और पदम विभूषण (Padma Vibhushan) जैसे शिखर सम्मान मिल चुके हैं। वहाँ संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (Sangeet Natak Akademi Award) भी।
फिर एक बड़ी बात यह भी कि कला क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए राष्ट्रपति ने सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) को राज्यसभा के लिए मनोनीत भी किया। कला क्षेत्र से राज्यसभा की सदस्यता का यह सम्मान सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) से पहले, 30 वर्ष पूर्व पंडित रविशंकर (Pandit Ravishankar) को मिला था। हालांकि सोनल (Sonal Mansingh) की राज्यसभा का 6 वर्ष का कार्यकाल अब समापन की ओर है। लेकिन अपने इस कार्यकाल के दौरान कला-संस्कृति के साथ महिलाओं से जुड़े विषयों को भी मानसिंह (Sonal Mansingh) ने बखूबी उठाया।
गीत नाटू नाटू में नाटू कहां से आया, बताया सोनल मानसिंह ने
मुझे याद है जब गत वर्ष फिल्म ‘आरआरआर’ (RRR) के गीत ‘नाटू नाटू’ (Natu Natu) को ऑस्कर पुरस्कार (Oscar Award) मिला तो सोनल (Sonal Mansingh) ने संसद में बहुत अच्छा वक्तव्य दिया था। उन्होंने कहा था –लोग जानना चाह रहे हैं कि नाटू नाटू (Natu Natu) शब्द कहाँ से आया। मैं बताना चाहूंगी, नाटू नाटू (Natu Natu) शब्द नट से, नटराज (Natraj) नृत्य से आया है। आज पूरी दुनिया इस पर नाच रही है। यह हमारे लिए हर्ष की बात है,गर्व की बात है।
इधर हाल ही में सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) से उनके निवास पर एक खास मुलाकात हुई तो कई नयी-पुरानी बातों का सिलसिला चल निकला। मैंने उनसे कहा-”आप भरतनाट्यम (Bharatnatyam) और ओडिसी (Odissi) दोनों ही नृत्यों में पारंगत हैं। अपनी 80 की उम्र में भी आप नृत्य कर रही हैं,समाज सेवा कर रही हैं और भी बहुत कुछ कर रही हैं। ऐसे में अब आपकी क्या कोई ऐसी अभिलाषा है जो आप पूरा करना चाहें।”
यह सुन सोनल मानसिंह (Sonal Mansingh) हँसते हुए जवाब देती हैं-” माँ भगवती की कृपा से मुझे बहुत कुछ मिला है। बस आगे भी नृत्य कला को ऐसे ही समर्पित रहूँ, यही चाहती हूँ। साथ एक अभिलाषा यह भी है कि मेरे सात और जन्म भी भारत में ही हों।