Sharda Sinha Death: लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की उम्र में हुआ निधन, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी के साथ पद्म भूषण भी मिल चुका है

Sharda Sinha: बिहार की जानी मानी लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली में एम्स में रात 9 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली। एम्स प्रशासन के अनुसार शारदा सिन्हा का सेप्टिसीमिया के परिणामस्वरूप रिफ्रैक्टरी शॉक के कारण रात 9.20 बजे निधन हो गया।

शारदा सिन्हा को 26 अक्टूबर को एम्स में भर्ती कराया गया था और पिछले 11 दिनों से वे चिकित्सा देखभाल में थीं। जैसे-जैसे उनकी हालत बिगड़ती गई, उन्हें ऑन्कोलॉजी वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का रक्त कैंसर) से उनकी लड़ाई लगातार मुश्किल होती गई। छठ पर्व का पर्याय बन चुके अपने भावपूर्ण गायन के लिए जानी जाने वाली सिन्हा 2018 से इस बीमारी से जूझ रही थीं।

सुमधुर गायन अमर रहेगा- राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शारदा सिन्हा के निधन के बाद एक्स पर अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा “बिहार कोकिला के रूप में प्रसिद्ध गायिका डॉक्टर शारदा सिन्हा जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। बिहारी लोक गीतों को मैथिली और भोजपुरी में अपनी मधुर आवाज़ देकर शारदा सिन्हा जी ने संगीत जगत में अपार लोकप्रियता पायी। आज छठ पूजा के दिन उनके मधुर गीत देश-विदेश में भक्ति का अलौकिक वातावरण बना रहे होंगे। उन्हें वर्ष 2018 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उनका सुमधुर गायन अमर रहेगा। मैं उनके परिवारजन एवं प्रशंसकों के प्रति गहन शोक-संवेदना व्यक्त करती हूं।”

छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज सदैव बनी रहेगी- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शारदा सिन्हा की स्थिति पर करीब से नज़र रख रहे हैं और इलाज कर रहे डॉक्टरों के सीधे संपर्क में थे। निधन के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए कहा “सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!”

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के साथ पद्म भूषण भी मिल चुका है 

1970 के दशक से शारदा सिन्हा के शानदार करियर ने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। क्षेत्रीय संस्कृति में गहराई से निहित उनकी संगीत विरासत ने उन्हें 1991 में पद्मश्री, 2018 में पद्म भूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और क्षेत्रीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिलाया।

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