Parliament Session: राष्ट्रपति ने संसद में दिया अभिभाषण, संविधान से लेकर पेपर लीक तक के मुद्दों पर बोलीं द्रौपदी मुर्मू

18वीं लोकसभा के गठन के बाद आज राष्ट्रपति ने लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आप सभी देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर यहां आए हैं। देश और लोगों की सेवा करने का यह अवसर बहुत कम लोगों को मिलता है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे।

लगातार तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि देश में छह दशक बाद पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार बनी है। लोगों ने तीसरी बार इस सरकार पर भरोसा जताया है। लोग जानते हैं कि केवल यही सरकार उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है। राष्ट्रपति मुर्मू ने लोकसभा चुनाव के सफल आयोजन के लिए चुनाव आयोग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ये दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। करीब 64 करोड़ मतदाताओं ने उत्साह और उमंग के साथ अपना कर्तव्य निभाया है। राष्ट्रपति ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव की चर्चा आज पूरी दुनिया में है। दुनिया देख रही है कि भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई है।

18वीं लोकसभा देश के संविधान को अपनाने के 56वें वर्ष की भी गवाह

उन्होंने कहा कि 18वीं लोकसभा कई मायनों में ऐतिहासिक लोकसभा है। इस लोकसभा का गठन अमृतकाल के शुरुआती वर्षों में हुआ था। यह लोकसभा देश के संविधान को अपनाने के 56वें वर्ष की भी गवाह बनेगी। आगामी सत्रों में यह सरकार अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है। यह बजट सरकार की दूरगामी नीतियों और भविष्य की दूरदर्शिता का प्रभावी दस्तावेज होगा। बड़े आर्थिक और सामाजिक फैसलों के साथ-साथ इस बजट में कई ऐतिहासिक कदम भी देखने को मिलेंगे।

भारत ने अनेक वैश्विक समस्याओं के समाधान की पहल की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मेरी सरकार का मत है कि दुनियाभर से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्यों में स्वस्थ स्पर्धा हो। यही कंपटीटिव को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म की सच्ची स्पिरिट है। राज्य के विकास से देश का विकास, इसी भावना के साथ हम आगे बढ़ते रहेंगे। आज का भारत, दुनिया की चुनौतियां बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि दुनिया को समाधान देने के लिए जाना जाता है। विश्व-बंधु के तौर पर भारत ने अनेक वैश्विक समस्याओं के समाधान को लेकर पहल की है। जलवायु परिवर्तन से लेकर खाद्य सुरक्षा तक, पोषण से लेकर सस्टेनबल एग्रीकल्चर तक हम अनेक समाधान दे रहे हैं।

विघटनकारी ताकतों से निपटना होगा

उन्होंने आगे कहा कि आज की संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें, लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरारें डालने की साजिशें रच रही हैं। ये ताकतें देश के भीतर भी हैं और देश के बाहर से भी संचालित हो रही हैं। इनके द्वारा अफवाह फैलाने का, जनता को भ्रम में डालने का, झूठी खबर का सहारा लिया जा रहा है। इस स्थिति को ऐसे ही बेरोक-टोक नहीं चलने दिया जा सकता।

भारत के बैंकिंग सेक्टर को दुनिया के सबसे मजबूत में से एक

बैंकिंग रिफॉर्म के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि 10 साल पहले भारत के बैंकिंग सेक्टर को डूबने से बचाने के लिए सरकार ने बैंकिंग रिफॉर्म्स किए, IBC जैसे कानून बनाए। आज इन्हीं सुधार ने भारत के बैंकिंग सेक्टर को दुनिया के सबसे मजबूत बैंकिंग सेक्टर में से एक बना दिया है। हमारे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आज मजबूत और लाभदायक हैं।

पेपर-लीक की घटनाओं पर ठोस उपाय करने की जरूरत 

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने हाल में हुई पेपर लीक की घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सरकार का ये निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले। सरकारी भर्ती हो या फिर परीक्षाएं, किसी भी कारण से इनमें रुकावट आए, ये उचित नहीं है। इनमें शुचिता और पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है।

राष्ट्रपति ने कहा “हाल ही में कुछ परीक्षाओं में हुई पेपर लीक की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए मेरी सरकार प्रतिबद्ध है। इससे पहले भी हमने देखा है कि कई राज्यों में पेपर-लीक की घटनाएं होती रही हैं। इस पर दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी ठोस उपाय करने की ज़रूरत है। संसद ने भी परीक्षा में होने वाली गड़बड़ियों के विरुद्ध एक सख्त कानून बनाया है। मेरी सरकार परीक्षाओं से जुड़ी संस्थाओं, उनके कामकाज के तरीके, परीक्षा प्रक्रिया, सभी में बड़े सुधार करने की दिशा में काम कर रही है।”

‘संविधान पर अनेक बार हुए हमले’ 

इस दौरान राष्ट्रपति ने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए। आज 27 जून है। 25 जून 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था। लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त करके दिखाया क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं। मेरी सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। अब भारत के उस भूभाग, हमारे जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है, जहां आर्टिकल 370 की वजह से स्थितियां कुछ और थीं।

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