Mangat Badal: दो साहित्य अकादेमी पुरस्कारों से सम्मानित मंगत बादल और उनकी नयी पुस्तक ‘साहित्य में हनीट्रैप’

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक

हाल ही में प्रसिद्द साहित्यकार मंगत बादल (Mangat Badal) और किरण बादल (Kiran Badal) दिल्ली आए तो उनसे खास मुलाकात हुई। मंगत और किरण ऐसे दंपत्ति हैं जो साहित्यिक संसार में अपनी रचनाओं और पुस्तकों से समाज को जागृत करने के साथ, कई उपलब्धियां प्राप्त कर चुके हैं। यहां तक ये दोनों ही प्रतिष्ठित साहित्य अकादेमी पुरस्कार (Sahitya Akademi Award) से सम्मानित भी हो चुके हैं।

किरण बादल को तो साहित्य अकादेमी बाल पुरस्कार गत 9 नवंबर को ही मिला। जब दिल्ली में, साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और उपाध्यक्ष प्रो कुमुद शर्मा ने इन्हें यह सम्मान प्रदान किया था।

लेकिन आज मैं बात मंगत बादल (Mangat Badal) की ही करना चाहूंगा। जिनकी हाल ही में एक नई पुस्तक ‘साहित्य में हनीट्रैप’ (Sahitya Mein Honeytrap) प्रकाशित हुई है। जयपुर के साहित्यगार द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में बादल (Mangat Badal) के 26 व्यंग्य हैं। जो समाज, राजनीति के साथ पाखंडी धर्म गुरुओं पर भी कटाक्ष कसते हैं।

इन व्यंग्य में कुछ के शीर्षक हैं- बड़े लोगों के साथ फोटो, साहित्य में हनीट्रैप, वरिष्ठ नागरिक, छपने का सुख, पतंगबाज़ और राजनेता, गिरना, खतरा, पिछला दरवाजा और हमारे डिजिटल श्रवण कुमार।

की भूमिका लिखते हुए जाने माने साहित्यकार प्रेम जनमेजय लिखते हैं-‘’ मंगत बादल (Mangat Badal) को पढ़ना स्वयं को समृद्द करना है। उनके पास व्यंग की बारीक और बेबाक दृष्टि है। वह कबीरी सोच के व्यंग्यकार । यही कारण है कि उनकी रचनाएं धार्मिक पाखंडों पर बहुत निर्ममता से प्रहार करती हैं।”

मंगत बादल ने छोटी उम्र से ही लिखना किया शुरू
मंगत बादल (Mangat Badal) की अब तक की लेखन यात्रा देखी जाए तो वह छोटी उम्र से ही लिख रहे हैं। एक जुलाई 1949 को सिरसा में जन्मे मंगत देश के उन गिने चुने लेखकों में से हैं जो तीन भाषाओं हिंदी, राजस्थानी और पंजाबी में लिख रहे हैं। फिर वह जहां व्यंग लिखते हैं वहां कहानी, ललित निबंध और कविताएं भी। साथ ही उन्होंने कुछ पुस्तकों का संपादन भी किया है और विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी।

इनकी हालिया अनुवाद की पुस्तकों में प्रख्यात लेखिका चित्रा मुदगल (Chitra Mudgal) की पुस्तक ‘पोस्ट बॉक्स नंबर 203 नाला सोपारा’ भी है। बादल ने इसका हिंदी से राजस्थानी में अनुवाद किया है। साथ ही पंजाबी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि सुरजीत पातर के एक कविता संग्रह का, बादल ने पंजाबी से राजस्थानी में अनुवाद भी किया है।

करियर के शुरू में ही तीन काव्य संग्रह आ गए
अपने लेखन की बड़ी और सही शुरुआत मंगत तब मानते हैं जब 1986 में उनका पहला काव्य संग्रह ‘मत बांधो आकाश’ आया। यह शुरुआत इतनी अच्छी रही कि 1988 में इनके तीन काव्य संग्रह आ गए। बाद के बरसों में इनके दो खंड काव्य ‘सीता’ और ‘कैकयी’ ने तो बादल को अच्छी खासी ख्याति दिलाई। जिनमें सीता और कैकेयी के जीवन की प्रमुख घटनाओं को बादल (Mangat Badal) ने नए नजरिए से प्रस्तुत किया।

अपने काव्य के साथ मंगत बादल (Mangat Badal) ने अपनी कहानियों से भी पाठकों का ध्यान खींचा। उनके हिंदी के प्रसिद्ध कहानी संग्रहों में ‘कागा सब तन’, ‘मुरदाखोर’ और ‘सुख की सांस’ प्रमुख हैं।

यूं मंगत बादल (Mangat Badal) के राजस्थानी में भी दो कहानी संग्रह आ चुके हैं। जिनमें उनके ‘रेत री पुकार’ और महाकाव्य ‘दसमेस’ को तो भारी प्रशंसा मिली। साथ ही उनके राजस्थानी के प्रबंध काव्य ‘मीरा’ को तो 2010 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी मिला। जबकि इनके राजस्थानी के एक और काव्य संग्रह ‘कुदरत रो न्याय’ को भी 2020 का साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार मिला।

इधर फिर से इनकी व्यंग्य यात्रा को देखें तो ‘साहित्य में हनीट्रैप’ (Sahitya Mein Honeytrap) बादल (Mangat Badal) का हिंदी में चौथा व्यंग संग्रह है। जबकि इनका पंजाबी में भी एक तथा राजस्थानी में दो काव्य संग्रह आ चुके हैं।

राजस्थान के रायसिंह नगर में रह रहे मंगत बादल (Mangat Badal) बताते हैं-‘’मेरी अभी तक कुल 43 पुस्तकें आ चुकी हैं। दस बड़े प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार मिल चुके हैं। मुझे इतना कुछ मिला है कि ज़िंदगी से मुझे कोई शिकायत नहीं है। बस मैं चाहता हूं मेरी साहित्यिक यात्रा निरंतर यूं ही चलती रहे।‘’

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