Happy Birthday Dharmendra: 89 साल के हुए धर्मेन्द्र, पिछले 6 दशक से हर दिल अजीज बने हुए हैं, तीनों किस्म की फिल्मों में बेहद सफल रहे
- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक
यह देखकर प्रसन्नता होती है कि अभिनेता धर्मेन्द्र (Dharmendra) आज 89 साल के हो गए। साथ ही उन्हें फिल्मों में काम करते हुए भी 65 बरस हो गए हैं। खुशी इस बात की भी है कि इस उम्र में भी वह फिल्में कर रहे हैं। इस बरस उनकी जहां दो फिल्में ‘तेरी बातों में उलझा जिया’ (Teri Baaton Mein Aisa Uljha Jiya) और ‘देश के गद्दार’ (Desh Ke Gaddar) प्रदर्शित हुई।
वहाँ गत वर्ष वह अपनी एक और फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (Rocky Aur Rani Kii Prem Kahaani) के लिए सुर्खियों में रहे। अब जल्द ही उनकी एक और फिल्म ‘इक्कीस’ (Ikkis) प्रदर्शित होगी। फिर उनकी होम प्रॉडक्शन फिल्म ‘अपने-2’ (Apne 2) भी शुरू होने को है।
फिल्म संसार को अपनी मुट्ठी में कैद कर ऐसा रचा इतिहास
8 दिसंबर 1935 को पंजाब में जन्मे धर्मेन्द्र (Dharmendra) की 1960 में जब पहली फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ आई तब वह 25 बरस के थे। फिल्मों में आने से 6 साल पहले ही उनकी प्रकाश कौर से शादी हो चुकी थी। यहाँ तक उनका बेटा सनी भी तब तीन साल का था। लेकिन एक गाँव से आए, शादी शुदा और पिता बन चुके धर्मेन्द्र (Dharmendra) ने तमाम पुरानी मान्यताओं को तोड़ते हुए, जल्द ही फिल्म संसार को अपनी मुट्ठी में कैद कर ऐसा इतिहास रचा, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
पिछले 6 दशक से हर दिल अजीज बने हुए हैं
पिछले 6 दशक में 300 से ज्यादा फिल्में कर चुके धर्मेन्द्र (Dharmendra) आज भी हर दिल अजीज बने हुए हैं। धर्मेन्द्र (Dharmendra) की अपार सफलता का जब भी मैं आकलन करता हूँ तो मुझे लगता है कि उसके तीन मुख्य कारण हैं। उनका आकर्षक व्यक्तित्व, शानदार अभिनय और दिलकश व्यवहार।
धर्मेन्द्र तीनों किस्म की फिल्मों में बेहद सफल रहे हैं
यही कारण है कि आज भी उन्हें फिल्में मिल रही हैं। ‘इंडियन आइडल’ (Indian Idol) और ‘इंडियाज़ गॉट टेलेंट’ (India’s Got Talent) जैसे टीवी शो में भी उनकी लोकप्रियता देखते ही बनती है। उनकी फिल्म यात्रा में जहां रोमांटिक फिल्में हैं तो कॉमेडी और एक्शन फिल्में भी। बड़ी बात यह है कि धर्मेन्द्र (Dharmendra) तीनों किस्म की फिल्मों में बेहद सफल रहे हैं। जिनमें शोले, सीता और गीता, आँखें, प्रतिज्ञा, धर्मवीर, दोस्त और चुपके-चुपके जैसी फिल्में हैं। तो शोला और शबनम, बंदिनी, अनुपमा, फूल और पत्थर, सत्यकाम, अनपढ़, जीवन मृत्यु, हकीकत, मेरा गाँव मेरा देश, नया ज़माना, यादों की बारात, समाधि, चरस, दिल्लगी और यमला पगला दीवाना जैसी कई और फिल्में भी।
कई बार मिला हूँ और इंटरव्यू भी किया
मैं पिछले बरसों में धर्मेन्द्र (Dharmendra) से कई बार मिला हूँ, उनको इंटरव्यू करता रहा हूँ। फोन और व्हाट्सऐप के माध्यम से भी उनके संपर्क में रहा हूँ। उनके जन्मदिन पर भी उन्हें लगातार फोन करके बधाई देता हूँ। वह इतने साफ दिल और ज़मीन से जुड़े इंसान हैं कि वह सदा प्रेम से बात करते हैं। कभी-कभी तो उनसे फोन पर बात करते करते आधा-पौना घंटा कब गुजरा पता ही नहीं लगा। इस बातचीत में जब वह बीच-बीच में कहते हैं- ‘’जीते रहो, खुश रहो, यू आर माई फेमिली’’, तो दिल खुशियों से भर जाता है।
चेहरे पर 89 की उम्र दूर तक नहीं झलकती
अपनी बातचीत में वह हमने फार्म हाउस की गतिविधियों को भी मज़े में बताते हैं। वहाँ वह किस तरह खेती करते हैं, खरगोश, मुर्गियों से खेलते हैं, तैराकी करते हैं। साथ ही सुबह सवेरे उठकर कवितायें और शेर ओ शायरी लिखते हैं। यही कारण है कि धर्मेन्द्र (Dharmendra) आज भी अपनी उम्र के हिसाब से काफी स्वस्थ हैं। दिल से तो वह आज भी पूरे जवान हैं। साथ ही उनके चेहरे पर 89 की उम्र दूर तक नहीं झलकती। उनकी बातों में शरारत, हंसी मज़ाक और बेबाकी बराबर रहती है। प्रभु से प्रार्थना है वह ऐसे ही बने रहें। स्वस्थ रहें, खुश रहें और 100 बरस से भी ज्यादा जीएं। और… और … दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी उन्हें जल्द मिले। जिसकी पुरजोर मांग मैं सरकार से पहले भी करता रहा हूँ।