Lok Sabha Election Results 2024: कम सीट के बाद भी भाजपा की बड़ी जीत, फिर भी विपक्ष हार का जश्न मना रहा है

  • प्रदीप सरदाना

   वरिष्ठ पत्रकार

लोकसभा चुनावों में भाजपा (BJP) को इस बार कुल 240 सीटें मिली हैं। जिससे भाजपा (BJP) 32 सीटों से अपने दम पर बहुमत पाने से रह गयी। हालांकि अपने एनडीए (NDA) के सहयोगी दलों के साथ मोदी सरकार कुल 294 सीट पाकर बहुमत से 22 सीट अधिक के साथ, फिर से सरकार बनाने जा रही है।

असल में 2019 के पिछले चुनाव में भाजपा को 303 सीट मिली थीं। जबकि उससे पहले 2014 में भाजपा ने पहली बार 282 सीट जीतकर वह कर दिखाया था,जिसकी पहले कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। इस बार भाजपा (BJP) को बहुमत के लिए अपने बल पर 272 सीट भी नहीं मिलना निराश तो करता है। लेकिन देखा जाये तो कम सीटों के बाद भी भाजपा की यह एक बड़ी जीत है। जबकि यह देख हैरानी होती है कि विपक्ष हारकर भी जीत का जश्न मना रहा है।

जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) अपनी इस विजय के बाद,पंडित जवाहर लाल नेहरू के उस रिकॉर्ड के एकाधिकार को तोड़ने जा रहे हैं,जो 62 बरसों से उनके नाम था। तब से अब तक कोई भी और प्रधानमंत्री उनके इस रिकॉर्ड को नहीं छू सके। देश स्वतंत्र होने के बाद से अब तक पंडित नेहरू अकेले ऐसे व्यक्ति रहे जो लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने। लेकिन अब नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेते ही पंडित नेहरू के 1962 के उस रिकॉर्ड को अपने नाम भी कर लेंगे।

सिर्फ उत्तर प्रदेश ने किया बड़ा निराश 

इस बार उत्तर प्रदेश के कुछ मतदाताओं ने भाजपा के साथ जो विश्वासघात किया उससे वहाँ पिछली बार की 62 सीटों की जगह मात्र 33 सीट मिलीं। उत्तर प्रदेश में एनडीए की कुल सीटों को भी देखें तो इस बार 36 सीटें हैं। जबकि पिछली बार एनडीए (NDA) के साथ कुल 64 सीटें थीं। इससे अकेले उत्तर प्रदेश से इस बार भाजपा की 29 सीट कम हो गईं। जिससे भाजपा को अपने अकेले दम पर बहुमत ना मिलने में,उत्तर प्रदेश की ही बड़ी भूमिका रही। इसके अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में भी भाजपा की सीट पिछली बार के मुक़ाबले में कम हुईं। लेकिन देश के अन्य कई हिस्सों में पीएम मोदी का जादू जमकर चला,जो यह बताता है कि मोदी का जादू बरकरार है।

14 राज्यों में रही भाजपा की धूम

देश के कुछ राज्यों में तो भाजपा (BJP) ने सभी सीट जीत कर विपक्ष के इंडी गठबंधन के मंसूबों पर बुरी तरह पानी फेर दिया। जैसे मध्यप्रदेश में भाजपा ने सभी 29 सीटों पर विजय प्राप्त की। जबकि 2019 में भाजपा को मध्य प्रदेश में 28 और 2014 में 27 सीट मिली थीं। यहाँ की छिंदवाड़ा सीट तो कांग्रेस का पुराना गढ़ रही है। जहां कांग्रेस नेता कमल नाथ बरसों से लगातार जीत रहे हैं। इस बार कमल नाथ ने अपने बेटे नकुल नाथ को यहाँ से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया था। लेकिन भाजपा के बंटी विवेक साहू ने नकुल नाथ को बुरी तरह हराकर, राज्य से कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया।

ऐसे ही दिल्ली की सभी सातों,उत्तराखंड की सभी पांचों,हिमाचल प्रदेश की सभी चारों और अरुणाचल प्रदेश तथा त्रिपुरा की सभी दो-दो सीटों को भाजपा ने जीतकर,इंडी गठबंधन का पूरी तरह सफाया कर दिया। कुछ ऐसी ही शानदार जीत भाजपा को गुजरात से मिली जहां कुल 26 सीटों में से 25 पर भाजपा ने अपनी विजय पताका फहरा,कांग्रेस सहित सभी दलों को बुरी तरह परास्त कर दिया। ऐसा ही करिश्मा छत्तीसगढ़ में हुआ जहां की कुल 11 सीटों में से 10 भाजपा ने अपने नाम कर लीं। अंडमान निकोबार की इकलौती सीट भी भाजपा की झोली में गयी। असम की कुल 14 सीट में से भी 11 सीट भाजपा ने समेट लीं। फिर झारखंड में 9 कर्नाटक में 19,तेलंगाना में 8 सीट जीतकर भाजपा ने अपनी बड़ी उपस्थिती दर्ज कराई। राजस्थान में भी जहां भाजपा को 14 सीट मिलीं वहाँ इंडी गठबंधन 11 पर ही सिमट गया।

ओडिशा और केरल में नया अध्याय

भाजपा के लिए सन 2024 का यह चुनाव इसलिए भी अविस्मरणीय रहेगा क्योंकि ओडिशा में तो उसे पहली बार बहुत बड़ी सफलता मिली है। साथ ही केरल में भी पहली बार त्रिशूर लोकसभा जीतकर,भाजपा ने केरल में भी अपना खाता खोल दिया है।

लोकसभा के साथ 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को बड़ी सफलता मिली। आंध्रप्रदेश में भाजपा तेलुगू देशम के साथ अपनी सरकार बना रही है। वहाँ अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में तो भाजपा ने 60 में से 46 सीट जीत लीं हैं। जो यह बताता है कि भाजपा की लोकप्रियता और भी बढ़ गयी है।

उधर ओडिशा में तो भाजपा ने जहां लोकसभा की कुल 21 सीटों में से 20 अपने नाम कर बीजू जनता दल का बरसों पुराना किला पूरी तरह ढआ दिया। वहाँ कांग्रेस भी यहाँ मुंह ताकती रही। साथ ही पहली बार भाजपा वहाँ राज्य में भी अपनी सरकार बनाने जा रही है। ओडिशा  विधानसभा चुनावों में भी भाजपा की आंधी ऐसे चली कि कई बरसों से राज कर रहे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपनी सीट तक हार गए। विधानसभा की कुल 147 सीटों में से भाजपा ने 78 सीट जीत,अकेले ही बहुमत प्राप्त कर अन्य सभी को पीछे धकेल दिया।

एक अकेला समूचे विपक्ष पर भारी    

उधर इंडी गठबंधन में शामिल कुल 37 दलों ने मिलकर मोदी को फिर से पीएम बनने से रोकने के लिए एक बड़ा जाल बुना था। इन दलों में ज़्यादातर वे दल हैं जिनके कितने ही नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह घिरे हैं। उनमें से कुछ तो जेल में हैं और कुछ बेल पर। लेकिन यह भारतीय लोकतंत्र की ताकत है कि इतना बड़ा विपक्ष मिलकर भी नरेन्द्र मोदी को रोक नहीं पाया। कुल 37 दलों ने एक मोदी को,एक भाजपा को हराने के लिए झूठ के अनेक पिटारे खोल दिये। देश में संविधान खत्म हो जाएगा, आरक्षण खत्म हो जाएगा, यह देश का आखिरी चुनाव होगा, महिलाओं को हर महीने खटा खट 8500 रुपए महीना मिलेंगे, मोदी जी बस एक साल और पीएम रहेंगे। ऐसी और भी बहुत सी बातें कहकर मतदाताओं को मूर्ख बनाने की बहुत कोशिश की गयी।

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के अनेक मतदाता इनके झूठ के जाल में फंस भटक भी गए। लेकिन देश का एक बड़ा वर्ग विपक्ष के इस मायाजाल में नहीं फंसा। जिसका बड़ा प्रमाण यह है कि ये 37 दल मिलकर कुल 234  सीट ही जीत पाये। जबकि भाजपा अकेले 240 जीतकर इनसे आगे निकल गयी। जिससे साफ है कि विपक्ष के ये कांग्रेस,टीएमसी,सपा,डीएमके,आरजेडी,आप, नेशनल कांफ्रेंस,पीडीपी और शरद पवार व उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं के कितने ही दल मिलकर भी एक अकेले मोदी,एक अकेली भाजपा का भी मुकाबला नहीं कर सकते।

कल भी विपक्ष में थे कल भी विपक्ष में रहेंगे

ये विपक्ष कल भी विपक्ष में बैठता था। कल भी विपक्ष में बैठेगा। इतनी हाय तौबा करने के बाद भी कांग्रेस कल भी दो डिजिट की पार्टी थी और आज भी दो डिजिट में ही है। कुल 100 सीटें भी ये नहीं जीत पायी है। उधर सिर्फ 35 सीट जीतने वाली सपा तो ऐसे उछल रही है कि मानो दुनिया उसकी मुट्ठी में हो गयी हो।

कहते थे 140 सीट के लिए तरस जाएंगे

ठीक है भाजपा (BJP) ने एनडीए (NDA) के लिए जो 400 पार का सपना देखा था,वह 300 से कुछ पहले ही अटक गया। जबकि यह भी सर्वविदित है कि कोई भी दल,कोई भी संस्थान,कोई भी व्यक्ति कोई बहुत बड़ा लक्ष्य निर्धारित करेगा,तभी उसे अच्छी सफलता मिलेगी। जैसे कोई छात्र परीक्षा में 100 नंबर प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है तो उसे 100 नहीं तो 80 नंबर तो मिलते ही हैं। लेकिन जो अखिलेश यादव रोज यह कहते नहीं थकते थे कि एनडीए 140 सीटों के लिए तरस जाएगी। या जो राहुल गांधी कहते थे कि एनडीए की 180 सीट भी नहीं आएंगी।

अब उन्हीं पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में बहुमत के साथ एनडीए की सरकार बनने जा रही है। पूरा विपक्ष एक जुट होकर भी हार गया। फिर भी विपक्ष की बेशर्मी देखिये कि वह अपनी हार पर भी इतरा रहा है। हार कर भी जश्न मना रहा है

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