IFFI 2023: गोवा फिल्म समारोह में कालजयी फिल्मों की धूम

कृतार्थ सरदाना। इन दिनों गोवा में चल रहा 54 वां ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ सभी का आकर्षण बना हुआ है। कितने ही फ़िल्मकारों के साथ सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने भी यहाँ पहुँचकर फिल्मों के इस महाकुंभ को देखा। समारोह में कई विदेशी फिल्मों को देखने के लिए तो दर्शक उत्साहित हैं ही। साथ ही भारत की 7 कालजयी फिल्मों के लिए दर्शकों का उत्साह नज़र आता है।

यहाँ प्रदर्शित इन फिल्मों में जहां देव आनंद-वहीदा रहमान की ‘गाइड’ है तो 1962 में प्रदर्शित वहीदा रहमान-बिश्वजीत की ‘बीस साल बाद’ भी है। वहीं 1964 में आई हिन्दी की एक और कालजयी फिल्म ‘हकीकत’ भी। भारत-चीन के युद्द पर बनी ‘हकीकत’ भारतीय सेना और सैनिकों के साहस की मर्मस्पर्शी तस्वीर प्रस्तुत करती है। धर्मेन्द्र, प्रिया राजवंश, बलराज साहनी और जयंत जैसे कलाकारों के अभिनय से सजी यह फिल्म अपने शानदार गीत संगीत के लिए भी याद की जाती है।

साथ ही बंगला फिल्म ‘विद्यापति’ (1937) और ‘कोरस’ (1974), मराठी फिल्म ‘श्यामची आई’ (1953) और तेलुगू फिल्म ‘पाताल भैरवी’ (1951) भी कालजयी वर्ग में दिखाई जा रही हैं।

इन फिल्मों की खास बात यह भी है कि ‘राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन’ के तहत इन फिल्मों को संरक्षित किया गया है। जिससे यह बरसों तक अच्छे रूप में देखी जा सकेंगी।

इन फिल्मों में ‘हकीकत’ को तो श्वेत श्याम से रंगीन भी कर दिया गया है। इस फिल्म के प्रदर्शन के दौरान चेतन आनंद के पुत्र केतन आनंद भी गोवा पहुंचे। केतन कहते हैं- ‘’हमने अपनी कई फिल्मों के प्रिंट खो दिये हैं। लेकिन इस पहल से हम अपनी कितनी ही फिल्मों को नष्ट होने से बचा लेंगे। इधर मैं भी अब जल्द ‘हकीकत-2’ का निर्माण करूंगा।‘’

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