Modi Sarkar 3.O: पीएम मोदी की तीसरी पारी में पुरानी मजबूती बरकरार, नवगठित मंत्रिमंडल दर्शाता है नहीं झुकेंगे प्रधानमंत्री
- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद अपनी तीसरी पारी की शानदार शुरुआत कर दी है। जबकि मंत्रिमंडल के गठन से पहले विभिन्न नकारात्मक बातों की चर्चाएं सर्वत्र गूंज रही थीं। आम जन ही नहीं मीडिया और विशेषकर न्यूज़ चैनल्स, ये कहते नहीं थकते थे कि इस बार पीएम मोदी (PM Modi) पहले की तरह अपने मजबूत फैसले नहीं ले पाएंगे। क्योंकि भाजपा (BJP) इस बार अकेले बहुमत नहीं पा सकी है। इसलिए अब नयी सरकार को अपने एनडीए (NDA) के सहयोगी दलों के हिसाब से चलना होगा।
तेलुगू देशम (Telugu Desam Party) के चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) और जेडी यू (JDU) के नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ‘किंग मेकर’ रहेंगे। इन दोनों की कुल मिलाकर 28 सीट हैं तो ये अपनी बड़ी शर्तों पर सहयोग देंगे। ये दोनों पहले भी पल में पाला बदलने के लिए मशहूर हैं। इन दोनों के अलग हटते ही एनडीए (NDA) की 294 सीटों वाली सरकार 266 सीटों पर आ जाएगी। जबकि बहुमत के लिए 272 सीट चाहिएं, इससे मोदी सरकार (Modi Sarkar) अल्पमत में आकर गिर जाएगी। सरकार में अपनी शक्ति को देखते हुए चंद्रबाबू (N Chandrababu Naidu) और नीतीश बाबू (Nitish Kumar) दोनों सरकार में अपनी मनमानी करेंगे। यहाँ तक वह इस समर्थन के बदले में पाँच-पाँच मंत्रिमंडल लेंगे। वह भी रेल, सड़क परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पेट्रोलियम, वाणिज्य और उद्योग जैसे बड़े मंत्रालय। साथ ही लोकसभा का स्पीकर पद भी तेलुगू देशम अपने पास रखेगी।
ऐसी कई बातें खूब हवाओं में थीं। जिसे सुनकर भाजपा (BJP) के कई सांसद ही नहीं, करोड़ों मोदी प्रशंसक भी दुखी थे कि यदि ऐसा हुआ तो क्या होगा? ऐसे में मोदी स्वतंत्र और बड़े फैसले कैसे ले पाएंगे? मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने पिछले 10 बरसों के अपने कार्यकाल में विकास की जो तीव्र गति पकड़ी है उसका क्या होगा? विकसित भारत और विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने का जो सपना पीएम मोदी (PM Modi) ने देखा है,क्या वह सपना ही रह जाएगा।
पीएम मोदी तीसरे कार्यकाल में भी पहले की तरह मजूबूत हैं
मोदी सरकार (Modi Sarkar) के कारण भारत का जो दुनिया भर में सम्मान बढ़ा है, जिससे भारत विश्व गुरु बनने को ही है। उन सब का क्या होगा? लेकिन पीएम मोदी (PM Modi) ने अब जो अपना नया मंत्रिमंडल बनाया है, उससे इन सभी अटकलों पर विराम लग गया है। जिसे देख विपक्ष हैरान है कि आखिर मोदी (Narendra Modi) ने पहले की तरह अपनी पसंद का मंत्रिमंडल बना कैसे लिया। कोई खींचातानी नहीं हुई। चंद्रबाबू (N Chandrababu Naidu) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की कोई मनमानी नहीं हुई। लेकिन वे करोड़ों देश प्रेमी खुश हैं जो देश को मजबूत देखना चाहते हैं। देश में निरंतर विकास, शांति और अमन चाहते हैं।
नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) का यह नया मंत्रिमंडल स्पष्ट दर्शाता है कि पीएम मोदी (PM Modi) अपने तीसरे कार्यकाल में भी पहले की तरह मजूबूत हैं। वह देश के सम्मान, सुरक्षा और विकास के सामने किसी से कोई समझोता नहीं करेंगे। जिस तरह मोदी (Narendra Modi) देश हित में दुनिया के किसी देश के सामने नहीं झुकते। अमेरिका और रूस दोनों के साथ अपनी शर्तों पर रहते हुए, दोनों से अच्छे संबंध बनाए हुए हैं। रूस और यूक्रेन हों या इजरायल और फिलिस्तीन इनके परस्पर सम्बन्धों में कितनी भी दुश्मनी क्यों ना हो। लेकिन भारत की सभी के साथ दोस्ती है। ठीक ऐसे ही घरेलू स्तर पर भी नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने बहुत ही संतुलित और अच्छे ढंग से सभी को साथ जोड़ा है।
अब देखिये न कुछ समय पहले तक बिहार (Bihar) में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का चिराग पासवान (Chirag Paswan) तथा जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के साथ 36 का आंकड़ा था। लेकिन मोदी (Narendra Modi) ने लोकसभा चुनाव इनके साथ मिलकर लड़ा। साथ ही अब अपनी सरकार में भी मोदी (Narendra Modi) ने इन तीनों को साथ लेकर, तीनों के साथ अपने संबंध मधुर बना दिये हैं।
पीएम मोदी ने बिना किसी दबाव के अपनी पसंद के अनुसार ही मंत्रियों को चुना
इधर मोदी (Narendra Modi) का यह नया मंत्रिमंडल यह भी सिद्द करता है कि मोदी (Narendra Modi) ने किसी भी दबाव में आए बिना, अपनी इच्छा और पसंद के अनुसार ही अपने मंत्रियों को चुना है। ठीक वैसे ही जैसे वह अपने पूर्व के दो कार्यकाल में 10 बरसों से करते रहे हैं। इस बात के संकेत यूं तो तब भी मिल गए थे, जब एनडीए (NDA) ने नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को अपना नेता चुना। चंद्रबाबू (N Chandrababu Naidu) हों या नीतीश बाबू (Nitish Kumar) या फिर एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और चिराग पासवान (Chirag Paswan) , उस दौरान सभी की शारीरिक भाषा, उनका अंदाज़ और वक्तव्य से यह शीशे की तरह से साफ हो गया था कि मोदी की शक्ति के सामने सभी नतमस्तक हैं।
नरेन्द्र मोदी का कद पहले से भी ज्यादा बढ़ गया है
जो चंदबाबू (N Chandrababu Naidu) गत जनवरी तक इंडी गठबंधन के साथ मिलकर, मोदी (Narendra Modi) को हटाने के मिशन में सामूहिक रूप से हाथ उठा रहे थे। अब वो मोदी (Narendra Modi) के साथ हाथ मिलाते हुए उनसे गले मिल रहे हैं। जो नीतीश (Nitish Kumar) दस साल पहले मोदी (Narendra Modi) के कट्टर विरोधी थे। मोदी (Narendra Modi) के साथ एक मंच पर मौजूद होकर भी सार्वजनिक मंच पर हाथ तक नहीं मिलाते थे। अब वही नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सार्वजनिक मंच पर मोदी (Narendra Modi) के पैर छूते हैं तो बताता है कि मोदी (PM Modi) का कद पहले से कितना बढ़ गया है।
पीएम मोदी ने अपने भरोसे के मंत्रियों को फिर सरकार में रखा
मोदी (Narendra Modi) ने जो यह अपना नया मंत्रिमंडल बनाया है, उसमें उनके वे पूर्वत मंत्री यथावत हैं, जो मोदी (PM Modi) के भरोसे के रहे हैं। यहाँ तक उनके विभागों में भी कोई फेर बदल नहीं किया गया है। इन मंत्रियों में अमित शाह (Amit Shah) पहले की तरह गृह और सहकारिता मंत्री हैं। तो राजनाथ सिंह (Rajnath Singh), निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और एस जयशंकर (S.Jaishankar) इस बार भी रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री बने हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय हो, रेल मंत्रालय या शिक्षा ये भी पिछली बार की तरह नितिन गडकरी (Nitin Gadkari), अश्वनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) और धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) को मिले हैं। ऐसे ही पीयूष गोयल (Piyush Goyal), वीरेंद्र कुमार (Virendra Kumar) और हरदीप पुरी (Hardeep Puri) जैसे केंद्रीय मंत्री भी अपनी लगभग पुरानी भूमिकाओं में हैं।
इस सबके साथ मोदी (PM Modi) ने कृषि, संचार, स्वास्थ्य, आवास-शहरी विकास, ऊर्जा सूचना प्रसारण, संस्कृति, पर्यटन, संसदीय कार्य, कोयला-खान, जल शक्ति, श्रम रोजगार पर्यावरण, पोत परिवहन, महिला-बाल विकास और वस्त्र मंत्रालय के केबिनेट मंत्री का पद भी भाजपा नेताओं को दिया है। इन मंत्रियों में शिवराज चौहान, जेपी नड्डा, मनोहर लाल, जी के रेड्डी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मनसुख मांडविया, गजेन्द्र सिंह शेखावत, वीरेंद्र कुमार, सर्बानन्द सोनोवाल, गिरिराज सिंह, भूपेंद्र यादव, अन्नपूर्णा देवी, किरेन रिजिजू और सीआर पाटिल शामिल हैं। यह सब बताता है कि मोदी (Narendra Modi) का दबदबा कायम है। जैसे अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में मोदी (Narendra Modi) ने अपने मंत्रिमंडल का चयन पीएम होने के अपने विशेषाधिकार के साथ किया था, वैसे ही अब किया है।
हाँ गठबंधन के अन्य सांसदों को जिस तरह पहले मंत्री पद दिये जाते रहे वैसे ही अब दिये गए हैं। जैसे जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी भारी उद्योग और इस्पात मंत्री बने हैं। तो टीडीपी के राममोहन नायडू को नागर विमानन, जेडीयू के ललन सिंह को पंचायतीराज और पशुपालन, एलजेपी के चिराग पासन को खाद्य प्रसंस्करण और हम के जीतनराम मांझी को लघु और मध्यम उद्योग मंत्री का पद दिया गया है। ये मंत्रालय भी अहम हैं।
मोदी गठबंधन भी निभाते हैं और सम्बन्धों को भी देते हैं सम्मान
पिछले दस बरसों में भाजपा पहले अकेले 282 सीट और 2019 में 303 सीट पाकर 272 के बहुमत से अकेले ही काफी आगे थी। लेकिन मोदी (Narendra Modi) ने गठबंधन धर्म निभाते हुए, एनडीए के घटक दलों को मंत्रिमंडल में बराबर हिस्सेदारी दी। पिछली बार बिहार विधानसभा में जेडीयू (JDU) से ज्यादा सीट पाकर भी भाजपा (BJP) ने अपने नेता सुशील मोदी (Sushil Modi) की जगह नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को ही मुख्यमंत्री निभाया। हालांकि इसके बावजूद नीतीश (Nitish Kumar) ने भाजपा (BJP) को छोड़ तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) की आरजेडी (RJD) के साथ मिलकर अपनी नयी सरकार बना ली। बाद में विपक्ष को एक जुट करके इंडी गठबंधन (Indi Alliance) बनाने में भी नीतीश (Nitish Kumar) की अहम भूमिका रही।
लेकिन विपक्ष ने जब नीतीश (Nitish Kumar) को इंडी (Indi Alliance) का संयोजक बनाने में भी आना कानी की तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को समझ आ गया कि भाजपा (BJP) और विपक्ष के अन्य दलों में क्या फर्क है। नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) गठबंधन धर्म भी निभाते हैं और सम्बन्धों को सम्मान भी देते हैं।