Raj Kapoor’s 100th Birthday: ग्रेट शोमैन’ राज कपूर की जन्म शताब्दी और उनके साथ अंतिम संवाद

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

राज कपूर (Raj Kapoor) ने एक अभिनेता और फ़िल्मकार के रूप में जो अपना अनुपम योगदान दिया है, वह किसी से छिपा नहीं हैं। यह राज कपूर (Raj Kapoor) की शानदार फिल्मों का ही करिश्मा था कि पेशावर से मुंबई आया यह परिवार फिल्म संसार का सबसे बड़ा और सबसे मशहूर परिवार बन गया।

यूं राज कपूर (Raj Kapoor) से पहले उनके पिता पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor) मुंबई आए थे। उन्होंने 1927 के दौर में मूक सिनेमा में अभिनय से शुरुआत की। बाद में वह देश की पहली सवाक फिल्म ‘आलम आरा’ में भी बतौर अभिनेता जुड़े। फिर रंग मंच को लेकर भी उन्होंने  बहुत कुछ किया। देखते देखते वह सिनेमा के महापुरुष बन गए।

लेकिन यह भी सच है कि यदि राज कपूर (Raj Kapoor) फिल्मों में न आते तो कपूर खानदान को वो गौरव वो सम्मान नहीं मिलता जो आज भी बरकरार है। राज कपूर (Raj Kapoor) का जन्म 14 दिसंबर 1924 को हुआ था। इसलिए यह उनका जन्म शताब्दी वर्ष है। देश में ही नहीं विश्व के कई देशों में उनकी जन्म शताब्दी धूम धाम से मनाई जा रही है।

पीएम मोदी के मुरीद हो गया कपूर परिवार

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने भी दिल्ली में राज कपूर परिवार (Raj Kapoor Family) से जिस आदर सम्मान और प्रेम से बात की। वह भी इतिहास में सदा याद किया जाएगा। इससे पहले देश के किसी भी पीएम ने किसी फिल्म हस्ती के पूरे परिवार से इस तरह बात नहीं की। हालांकि यह प्रसिद्द परिवार नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व और प्रभाव से कुछ सहमा सहमा था। रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) ने तो कहा भी “हमारी तो हवा टाइट थी। लेकिन पीएम मोदी (PM Modi) ने जिस सहज भाव और आत्मीयता से उन सबसे बात की तो सभी अभिभूत हो गए। हम मोदी जी (Modi Ji) के मुरीद हो गए।” पीएम मोदी (PM Modi) ने राज कपूर (Raj Kapoor) की फिल्मों के साथ उनके उस दौर में ‘सॉफ्ट पावर’ की बात की। साथ ही यह भी कहा कि आज भी उनका प्रभाव कम नहीं है।

आर के स्टुडियो की 18 फिल्मों से विश्व के दिग्गज फ़िल्मकार बन गए

राज कपूर (Raj Kapoor) की फिल्मों की बात करें तो उन्होंने कुल करीब 65 फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) की अमर पहचान बनी उनकी अपने बैनर आर के स्टुडियो (RK Studio) से बनाई 18 फिल्मों से। जिनमें से राज ने 10 फिल्मों का निर्देशन स्वयं किया। अपने निर्देशन में बनी फिल्मों में से कुल 6 फिल्मों में ही उन्होने अभिनय किया। लेकिन अपनी इन 18 फिल्मों से ही वह देश के ही नहीं विश्व के दिग्गज फ़िल्मकार बन गए। मात्र 24 बरस की उम्र में राज ने निर्माता निर्देशक बनकर 1948 में अपनी पहली फिल्म ‘आग’ बनाई थी। हालांकि यह फिल्म सफल नहीं रही।

भारत से बाहर मशहूर होने वाले देश के पहले फिल्म कलाकार बने

लेकिन 1949 में बनाई उनकी दूसरी फिल्म ‘बरसात’ (Barsat) ने इतिहास रच दिया। इसके बाद राज कपूर (Raj Kapoor) की ज़िंदगी में नया और बड़ा मोड़ तब आया जब 1951 में उनके प्रॉडक्शन की तीसरी फिल्म ‘आवारा’ (Awara) आयी। इसी फिल्म से राज कपूर (Raj Kapoor) ग्रेट शोमैन बने। इसी फिल्म से वह भारत से बाहर मशहूर होने वाले देश के पहले फिल्म कलाकार बने। ‘आवारा’ से ही उनकी नर्गिस के साथ यादगार और सर्वाधिक लोकप्रिय जोड़ी बनी। राज-नर्गिस (Raj Nargis) ने कुल 16 फिल्मों में साथ काम किया।

राज कपूर (Raj Kapoor) ने इन तीन फिल्मों के बाद अपने बैनर से श्री 420, संगम, मेरा नाम जोकर, कल आज और कल, बॉबी, सत्यम शिवम सुंदरम, प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली जैसी भव्य फिल्में बनायीं। तो बूट पालिश, जागते रहो, अब दिल्ली दूर नहीं और जिस देश में गंगा बहती है जैसी कलात्मक फिल्में भी।

राज कपूर को दुनिया से गए अब 36 बरस हो गए हैं

राज कपूर (Raj Kapoor) को दुनिया से गए अब 36 बरस हो गए हैं। उनके बाद और भी कई अच्छे फ़िल्मकर आते रहे हैं। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) जैसा कोई और नहीं। उनको फिल्म विधा के हर पहलू की गहरी समझ थी। तभी उनकी फिल्मों का कथानक, संवाद, दृश्य और गीत संगीत सभी खूबसूरत रहे। राज कपूर (Raj Kapoor) को अपनी फिल्मों और अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी मिले।

अंतिम समय में राज कपूर के साथ उनकी पत्नी कृष्णा कपूर और मैं ही थे

मेरा सौभाग्य रहा कि इस महान फ़िल्मकार से मैं कई बार मिला, उन्हें इंटरव्यू भी किया। लेकिन उस सबसे बढ़कर यह कि उनके अंतिम समय में उनके साथ उनकी पत्नी कृष्णा कपूर (Krishna Kapoor) और मैं ही थे। उनके साथ शायद किसी पूर्व जन्म के रिश्ते ने मुझे यकायक यह मौका दे दिया था।

असल में जब राज कपूर (Raj Kapoor) को दुनिया से गए अब 36 बरस हो गए हैं 2 मई 1988 को दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) लेने के लिए दिल्ली आए। तो सिरीफ़ोर्ट सभागार में समारोह के दौरान उन्हें अस्थमा का खतरनाक दौरा पड़ा। उन्हें तब आनन फानन में फाल्के सम्मान से सम्मानित तो किया गया। जिसके लिए राष्ट्रपति प्रोटोकॉल तोड़कर मंच से उनके पास उनकी सीट पर आए।

इसके तुरंत बाद मैं ही राष्ट्रपति भवन की एंबुलेंस से उन्हें एम्स अस्पताल ले गया। उसके बाद भी मैं लगातार उनके साथ रहा। यहाँ तक जब उनकी तबीयत  ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें आई सी यू में ले जया गया तब भी मैं और कृष्णा जी उनके साथ थे। इसी दौरान मुझसे बात करते-करते वह कौमा में चले गए। हालांकि डॉक्टर उन्हें बचाने के हर संभव प्रयास करते रहे। लेकिन 2 जून 1988 को उनका निधन हो गया।

मुझे आज भी आश्चर्य होता है कि दिग्गज फ़िल्मकर राज कपूर (Raj Kapoor) के साथ मेरा ऐसा क्या रिश्ता था कि उनके इतने बड़े परिवार के होते हुए भी उनके अंतिम समय में उनके साथ मैं था। अपने जीवित रहते अपनी अंतिम यात्रा भी राज कपूर (Raj Kapoor) ने मेरे साथ की। यहाँ तक अपनी ज़िंदगी की आखिरी बात भी वह मुझसे कहकर सदा के लिए खामोश हो गए।

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