IFFI 2024: हम मंडप खूब सजाते हैं, दुल्हन वो ले जाते हैं, गोवा फिल्म समारोह में किसी भारतीय फिल्म को नहीं मिल सका पुरस्कार

 

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

गोवा में चल रहे 9 दिवसीय फिल्म समारोह (IFFI 2024) का 28 नवंबर को समापन हो गया। भव्यता के मामले में इस बार का यह 55 वां ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ (IFFI 2024) कहीं कमतर नहीं था। लेकिन दुख इस बात का रहा कि इस बार एक भी भारतीय फिल्म कोई पुरस्कार नहीं पा सकी। प्रतियोगी वर्ग के सभी पुरस्कार विदेशी फिल्मों की झोली में चले गए।

सभी पुरस्कार विदेशी फिल्मों की झोली में चले गए

सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का ‘स्वर्ण मयूर’(Golden Peacock) का पुरस्कार लिथुआनियाई फिल्म ‘टॉक्सिक’ (Toxic) को मिला। जबकि सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए रजत मयूर रोमानिया की फिल्म ‘द न्यू ईयर दैट नेवर केम’ (The New Year That Never Came) के लिए बोगदान मुरेसानु (Bogdan Muresanu) को।

उधर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का रजत मयूर पुरस्कार जहां फ्रेंच फिल्म ‘होली काऊ’ (Holy Cow) के लिए क्लेमेंट फेवो (Clément Faveau) को मिला। वहाँ ट्यूनिशिया की फिल्म ‘हू डू आई बिलॉन्ग टू’ (Who Do I Belong To) में अभिनेता एडम बेसा (Adam Bessa) का बेहतरीन काम देखकर जूरी ने उन्हें भी विशेष उत्कृष्ट पुरस्कार दिया।

फिर जूरी को फिल्म ‘टॉक्सिक’ (Toxic) की दो अभिनेत्रियों वेस्टा माटूलिटे (Vesta Matulytė) और इवा रुपेइकैटे (Ieva Rupeikaitė) का अभिनय इतना अच्छा लगा कि इन दोनों को ही संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का रजत कमल प्रदान किया गया।

अपने देश के फिल्म समारोह में भारत की कोई भी फिल्म पुरस्कार नहीं जीत सकी

इनके अतिरिक्त फ्रांसीसी निर्देशक लुईस कूवेसीयर (Louise Courvoisier) को उनकी पहली फिल्म ‘होली काऊ’ (Holy Cow) के लिए विशेष जूरी पुरस्कार मिला। साथ ही अमेरिकी फिल्म ‘फेमिलियर टच’ (Familiar Touch) के लिए सारा फ्रीडलैंड (Sarah Friedland) को अपनी पहली फिल्म का सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का। इस तरह ‘टॉक्सिक’ (Toxic) और ‘होली काऊ’ (Holy Cow) दो फिल्मों को दो-दो पुरस्कार मिले। लेकिन अपने ही देश में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (Goa Film Festival) में भारत की कोई भी फिल्म कोई भी पुरस्कार पाने से वंचित रह गयी।

प्रतियोगिता वर्ग की कुल 15 फिल्मों में 3 भारतीय फिल्में थीं

जबकि प्रतियोगिता वर्ग की कुल 15 फिल्मों में 3 भारतीय फिल्में थीं। हिन्दी फिल्म ‘आर्टिकल 370’ (Article 370), मलयाली फिल्म ‘द गोट लाइफ’ (The Goat Life) और मराठी फिल्म ‘रावसाहब’ (Raavsaheb)। ऐसे ही सर्वश्रेष्ठ निर्देशक की पहली फिल्म की प्रतियोगिता में भी शामिल 7 फिल्मों में दो भारतीय फिल्में थीं, शशिकांत चंद्रकांत खंडारे की मराठी ‘जिप्सी’ (Gypsy) और निर्देशक इमानी वी एस नन्द किशोर की तेलुगू फिल्म ’35 चिन्ना कथा काड़ू’ (35 Chinna Katha Kaadu)। लेकिन हमारे ये दोनों निर्देशक भी प्रतियोगिता में पिछड़ गए।

विश्व में सर्वाधिक फिल्म बनाने वाले भारत को कोई पुरस्कार नहीं मिलना

भारत विश्व में सर्वाधिक फिल्म बनाने वाला देश है। लेकिन अपने ही देश के सबसे बड़े फिल्म मेले में भारत की किसी भी फिल्म को कोई पुरस्कार न मिलना, निश्चय ही शर्मनाक है। जो यह दर्शाता है कि भले ही हम फिल्मों का पहाड़ खड़ा कर लें लेकिन गुणवत्ता के मामले में हमारी फिल्में शिखर से बहुत दूर हैं। कई छोटे देश इतनी अच्छी फिल्में बना रहे हैं कि उनकी फिल्में दुनियाभर में पुरस्कार बटोर रही हैं। लेकिन हम अपनी घरेलू पिच पर भी बुरी तरह मात खा रहे हैं।

सरकार ने अच्छे आयोजन के किए सार्थक प्रयास

आयोजन अच्छा रहा। जिसमें देश-विदेश के कई बड़े फिल्म कलाकारों ने शिरकत की। अच्छे आयोजन के लिए भारत सरकार और गोवा सरकार दोनों के प्रयास सार्थक रहे। लेकिन हमारे फ़िल्मकार अभी भी  विश्व स्तरीय फिल्म प्रतियोगिता का मुक़ाबला करने में  समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। फ़िल्मकारों को अच्छी नहीं बहुत अच्छी फिल्में बनाने के लिए  पुरजोर प्रयास करने होंगे।

ऐसी शर्मनाक स्थिति पहले नहीं रही

इधर हम गोवा के पिछले 5 बरसों के इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह पर नज़र डालें तो पूर्व वर्षों में भी हमारी फिल्मों का प्रदर्शन कभी बहुत अच्छा तो नहीं रहा। लेकिन इस बार जैसी शर्मनाक स्थिति पहले नहीं रही। पिछले वर्ष के 54 वें फिल्म समारोह में भारत को निर्णायक मण्डल का एक विशेष पुरस्कार तो मिला था। अभिनेता ऋषभ शेट्टी (Rishabh Shetty) को फिल्म ‘कंतारा’ (Kantara) के लिए। ऐसे ही 2022 के 53 वें फिल्म समारोह में भी तेलुगू फिल्म ‘सिनेमा बंदी’ को भी जूरी का विशेष उल्लेखनीय पुरस्कार मिला। सन 2020 में भी कृपाल कलिता कि फिल्म ‘ब्रिज’ को भी विशेष उल्लेखनीय पुरस्कार प्रदान किया गया।

भारत की सर्वश्रेष्ठ स्थिति 2021 के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में रही

पिछले 5 वर्षों में भारत की सर्वश्रेष्ठ स्थिति 2021 के 52 वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में रही। जब भारत की झोली में मराठी फिल्म ‘गोदावरी’ (Godavari Film) के माध्यम से एक नहीं, दो पुरस्कार आए। एक रजत कमल सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए जीतेंद्र जोशी को। दूसरा जूरी का विशेष उल्लेखनीय पुरस्कार निर्देशक निखिल महाजन को। लेकिन ऐसी दोहरी सफलता पिछले वर्षों में एक बार ही मिली

मंडप हमने सजाया लेकिन दुल्हन कोई और ले गए

इसलिए इस बात को लेकर गहन विश्लेषण की आवश्यकता है कि भारत अपने इस फिल्म समारोह में पुरस्कार पाने में क्यों पिछड़ता है। इस बार तो स्थिति और भी खराब रही। भारत सरकार और गोवा सरकार ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ (IFFI) को हर बार और बड़ा बनाने के प्रयास करती है। हर बार हम मंडप तो खूब सजाते हैं लेकिन दुल्हन कोई और ले जाते हैं।

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