Yamini Krishnamurthy: अपनी लय और ताल से यामिनी कृष्णमूर्ती ने कुचिपुडी को पूरी तरह शास्त्रीय नृत्य बना दिया था

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

देश की प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ती (Yamini Krishnamurthy) ने गत 3 अगस्त को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली में 20 दिसंबर 1940 को जन्मी यामिनी (Yamini Krishnamurthy) यूं तो अब करीब 84 साल की हो चुकी थीं। वह पिछले 7 महीने से गंभीर रूप से बीमार भी चल रही थीं। लेकिन उनका होना नृत्य जगत ही नहीं पूरे कला जगत के लिए आत्मबल देता था।

एक साथ तीन शास्त्रीय नृत्यों में पारंगत थीं यामिनी कृष्णमूर्ती

देश में यूं तो एक से एक शानदार शास्त्रीय नृत्यांगना हैं। लेकिन यामिनी कृष्णमूर्ती (Yamini Krishnamurthy) ने शास्त्रीय नृत्य को देश में एक नया शिखर देने के साथ विदेशों में भी इसे जिस तरह लोकप्रिय बनाया। वह सब बेमिसाल है। बड़ी बात यह भी रही कि यामिनी कृष्णमूर्ती (Yamini Krishnamurthy) एक साथ तीन शास्त्रीय नृत्यों में पारंगत थीं, भरतनाट्यम (Bharatnatyam) तो उसमें प्रमुख था ही। साथ ही कुचिपुडी (Kuchipudi) और ओडिसी (Odissi) में भी उनकी प्रतिभा देखते ही बनती थी।

अपनी लय और ताल से कुचिपुडी को पूरी तरह शास्त्रीय नृत्य बना दिया

कुचिपुडी (Kuchipudi) पहले एक लोक नृत्य के रूप में प्रचलित था। लेकिन यामिनी कृष्णमूर्ती (Yamini Krishnamurthy) ने अपनी लय और ताल से कुचिपुडी (Kuchipudi) को पूरी तरह शास्त्रीय नृत्य बना दिया। अपनी 4 वर्ष की उम्र से यामिनी कृष्णमूर्ती (Yamini Krishnamurthy) ने कई प्रतिष्ठित गुरुओं से गीत-संगीत और नृत्य की शिक्षा लेकर 1957 में 17 बरस की आयु में पहली बार भरनाट्यम (Bharatnatyam) नृत्य को मंच पर प्रस्तुत किया था।

तीन वर्षों में ही वह अपने नृत्य कौशल से इतनी लोकप्रिय हो गईं कि देश के कई शहरों के साथ विदेशों में भी उनके कई कार्यक्रम आयोजित हो गए। बस उसके बाद यह सिलसिला ऐसा चला कि यामिनी कृष्णमूर्ती (Yamini Krishnamurthy) जल्द ही दुनिया भर में भारत की सांस्कृतिक दूत बनकर चमकने लगीं।

यामिनी कृष्णमूर्ती (Yamini Krishnamurthy) ने अपने नृत्य के सटीक कदमताल और खूबसूरत भाव मुद्राओं और अभिनय से तो अपनी विशिष्ट पहचान बनाई ही। साथ ही उनके नृत्य में बिजली जैसी बेमिसाल गति थी।

यामिनी कृष्णमूर्ति (Yamini Krishttps://www.youtube.com/watch?v=g68YaFyK7zQ&t=653shnamurthy) ने नृत्य की अपनी लंबी यात्रा में अनेक उपलब्धियां प्राप्त कीं। उन्हें जहां तीनों पदम पुरस्कार-पदमश्री, पदमभूषण और पदमविभूषण मिले। वहाँ संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi) जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार भी। वहीं तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने उन्हें ‘अस्थाना नर्तकी’ का सम्मान भी दिया।

यह भी पढ़ें-  सिनेमा में माधुरी दीक्षित के हुए 40 साल पूरे, ‘धक धक गर्ल’ का आज भी बरकरार है जादू

Related Articles

Back to top button