World Tourism Day 2023: पर्यटन में एक नया इतिहास लिख सकता है भारत

  • प्रदीप सरदाना

   वरिष्ठ पत्रकार

भारत यूं तो शताब्दियों से पर्यटकों का आकर्षक रहा है। कभी किसी को यहाँ विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी देखने की लालसा रही तो कभी ताजमहल देखने की। कभी कश्मीर की सुंदर वादियों ने लोगों को लुभाया। तो कभी कोणार्क सूर्य मंदिर, खजुराहो, तो कभी अजंता एलोरा की गुफाओं ने। प्राचीन भारत में तो नालंदा,विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों में विश्वभर से छात्र अध्ययन के लिए भारत आते थे।

असल में भारत में देश-विदेश के पर्यटकों के लिए इतनी विविधता है कि लगभग सभी को अपना पसंदीदा पर्यटक स्थल यहाँ मिलता रहा है। विश्व के कई देशों से भारत आए मेग्स्थनीज़,फा-हियान, ह्वेन सांग, अल बेरुणी, मार्को पोलो और इब्र वतूना जैसे यात्री प्राचीन भारत की विरासत, ऐतिहासिक धरोहर, कला, संस्कृति, प्रकृति, धार्मिक स्थलों और वास्तुकला आदि से सदा आकर्षित होते रहे हैं।

हालांकि अपार क्षमताओं के बावजूद विश्व मानचित्र पर भारत, पर्यटन में अपनी बड़ी जगह नहीं बना पा रहा था। इसके लिए कमजोर बुनियादी ढांचा और सुरक्षा की कमी के साथ कुछ सख्त नियम भी बाधक बनते रहे। लेकिन पिछले कुछ बरसों में देश के बुनियादी ढांचे में हुए अभूतपूर्व विकास और 50 नए पर्यटन केंद्र विकसित होने से परिस्थियाँ तेजी से बदल गयी हैं।

पिछले 9 बरसों में मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे पर ही 34 लाख करोड़ रुपए खर्च करके भारत की तस्वीर एक दम बदल दी है। इससे भारत में अभी तो पर्यटन उद्योग बढ़ ही गया है। साथ ही आने वाले समय में जल्द ही भारत विश्व पर्यटन में अपनी बड़ी जगह दर्ज कर सकता है।

बड़ी बात यह है कि अब राजधानी दिल्ली सहित देश भर में इतने नए आकर्षक स्थल बन गए हैं, जो विश्व में सबसे बड़े और अनूठे हैं। दिल्ली के प्रगति मैदान में ही 123 एकड़ मे 2700 करोड़ रुपए की राशि से बना ‘भारत मंडपम’ विश्व का सबसे खूबसूरत और विशाल सम्मेलन केंद्र है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के ओपेरा हाउस की विश्व में धूम थी। लेकिन भव्य,आधुनिक और विशाल ‘भारत मंडपम’ ने सभी को पीछे छोड़ दिया है।

पिछले दिनों जी-20 सम्मेलन का आयोजन यहाँ हुआ तो यहाँ पहुंचे विश्व के लाभग सभी राष्ट्राध्यक्ष इसको देख अभिभूत थे। सभी ने मुक्त कंठ से इसकी प्रशंसा की। यहाँ का अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र भी विश्व का सबसे बड़ा मीडिया केंद्र है।

ऐसे ही दिल्ली के द्वारका में नवनिर्मित ‘यशोभूमि’ विश्व का सबसे बड़ा सभागार है। यशोभूमि के प्रथम चरण का हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उदघाटन किया। कुल 8.9 लाख वर्ग मीटर की इस परियोजना में अभी 1.8 लाख वर्ग मीटर के शुरू हुए हिस्से में ही विशाल और भव्य प्रदर्शनी दीर्घा तो ऐसी हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

यहाँ जो अभी एक सभागार आरंभ हुआ है, उसकी क्षमता 6 हज़ार है। जिसकी भव्यता और सुविधाएं तो आँखें खोल देती है। इस सभागार की कुर्सियों और मंच को अपनी उपयोगिता और सुविधा से दस प्रकार से तैयार किया जा सकता है। साथ ही इस सभागार को दो हिस्सों में विभाजित करके एक साथ दो आयोजन किए जा सकते हैं। दिलचस्प यह है कि हवाई अड्डा निकट होने के कारण इस सभागार के ऊपर से कुछ कुछ देर में फ्लाइट निकलती रहती हैं।  लेकिन सभागार में उसकी भनक तक नहीं पड़ती।

असल में ‘भारत मंडपम’ और ‘यशोभूमि’ दो ऐसे स्थल हैं जो भारत के पर्यटन उद्योग को नए शिखर पर ले जाएँगे। हमारे देश में सामान्य पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, एतिहासिक पर्यटन के बाद चिकित्सा पर्यटन की शुरुआत तो कुछ समय पहले ही हो चुकी है। लेकिन भारत मंडपम और यशोभूमि देश में सम्मेलन पर्यटन की बड़ी शुरुआत कर सकते हैं। जिससे विश्व भर के लोग भारत में सम्मेलन आयोजित करने के लिए आएंगे। साथ ही घरेलू स्तर पर भी अभी जो बड़े आयोजन किसी खुले स्टेडियम या ग्राउंड में होते थे। अब फिल्मफेयर जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार जैसे बड़े समारोह ही नहीं विश्व के कई बड़े समारोह भारत में आयोजित होने लगेंगे।

उधर हाल ही के बरसों में विश्व कीर्तिमान बनाने वाले कुछ भारतीय स्थलों ने भी भारतीय पर्यटन में क्रान्ति कर दी है। जिनमें सर्वाधिक चर्चित गुजरात की ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ है। सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची विश्व की इस सबसे बड़ी प्रतिमा ने, विश्व में न्यूयॉर्क स्थित ‘स्टेचू ऑफ लिबर्टी’ को बहुत पीछे छोड़ दिया है। इसके प्रवेश शुल्क से ही एक बरस में 82 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हो गया।

इसके साथ जम्मू-कश्मीर में दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे पुल,राजमार्ग पर 10 हज़ार फीट की विश्व की सबसे लंबी अटल सुरंग, विश्व का सबसे बड़ा खेल स्टेडियम,एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल-सड़क बोगीपुल और भारत का सबसे लंबा भूपेन हजारिका सेतु कुछ ऐसे प्रमुख नए निर्माण हैं जिन्हें देखने की ललक सभी को है।

 

ऐसे ही भारत में आध्यात्मिक-धार्मिक पर्यटन भी नए क्षितिज छूने के लिए तैयार है। बुद्ध, कृष्ण और राम सर्किट बनने से विश्व भर के कृष्ण और बुद्ध भक्त तो देश में अब ज्यादा आ ही रहे हैं। हाल ही में केदारनाथ, विश्वनाथ, महाकाल और सोमनाथ मंदिरों के अनूठे कायापलट से घरेलू पर्यटकों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी ही है। विदेशी पर्यटक भी इस ओर बहुत आ रहे हैं। उधर जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उदघाटन के बाद नज़ारे और ही होंगे।

उधर अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ पूर्वोत्तर के राज्य भी भी पर्यटकों की बड़ी पसंद बन चुके हैं। अब यहाँ पर्यटकों की संख्या तीव्रता से बढ़ रही है। भारत के पर्यटन में क्रान्ति लाने में देश में हजारों किमी की नई शानदार सड़कों और सेतुओं के साथ 74 नए हवाई अड्डों और चंद दिनों में ही 34 ‘वंदे भारत’ जैसी आधुनिक रेलों के चलन की भी अहम भूमिका है।

अब यदि ‘अतिथि देवोभवः’ संकल्प का देश के सभी राज्यों में पूरी तरह पालन हो और देश में नए प्रशिक्षित गाइडस की भी बड़ी व्यवस्था हो तो आगामी दो बरसों में भारत पर्यटन में एक नया इतिहास लिख सकता है।

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