धर्मेन्द्र को कब मिलेगा दादा साहब फाल्के पुरस्कार?

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

इस बात की बड़ी संभावना थी कि इस बरस दादा साहब फाल्के पुरस्कार सदाबहार अभिनेता धर्मेन्द्र (Dharmendra) को मिलेगा। लेकिन जब सूचना प्रसारण मंत्रालय ने फाल्के पुरस्कार के लिए मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) के नाम की घोषणा की तो, धर्मेन्द्र (Dharmendra) एक बार फिर पीछे रह गए। इससे मुझे तो निराशा हुई ही, धर्मेन्द्र (Dharmendra) के असंख्य प्रशंसक भी निराश हो गए।

मिथुन दा भी दादा साहब फाल्के के योग्य पात्र हैं

यहाँ यह साफ कर दूँ कि मिथुन (Mithun Chakraborty) को यह पुरस्कार देने से मुझे कोई शिकायत नहीं है। मिथुन दा (Mithun Chakraborty) भी इसके योग्य पात्र हैं। शिकायत बस यह है कि फिल्मों में धर्मेन्द्र (Dharmendra) के बाद आए कलाकारों को भी फाल्के सम्मान लगातार मिलता जा रहा है। लेकिन दिलकश और लाजवाब अभिनेता धर्मेन्द्र  (Dharmendra) को फाल्के पुरस्कार अभी तक क्यों नहीं मिला? उनका नाम हर बार पीछे क्यों हो जाता है ?

पिछले 10 बरसों में 7 बार धर्मेन्द्र का नाम आया

जबकि पिछले 10 बरसों में 7 बार उनका नाम विचार के लिए आया। लेकिन कभी यह मनोज कुमार (Manoj Kumar) को मिल गया तो कभी विनोद खन्ना (Vinod Khanna) और शशि कपूर (Shashi Kapoor) को। कभी अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) और रजनीकान्त (Rajinikanth) को मिला तो कभी गुलजार (Gulzar) और के॰ विश्वनाथ (K Viswanath) को। पिछले बरसों में उपरोक्त को फाल्के मिला हो या आशा पारेख (Asha Parekh) और वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) जैसी अभिनेत्रियों को। सिनेमा में इन सभी का बड़ा योगदान है। लेकिन धर्मेन्द्र (Dharmendra) का नाम इन सभी में कहीं से भी उन्नीस नहीं है।

धर्मेन्द्र ने 65 बरसों में 300 फिल्मों में काम किया

धर्मेन्द्र (Dharmendra) को फिल्मों में काम करते हुए करीब 65 बरस हो गए हैं। अभी तक करीब 300 फिल्मों में काम कर चुके धर्मेन्द्र (Dharmendra) के खाते में एक से एक शानदार फिल्म है। जिनमें शोला और शबनम, बंदिनी, अनपढ़, सत्यकाम, अनुपमा, फूल और पत्थर, आया सावन झूम के, आँखें, जीवन मृत्यु, मेरा गाँव मेरा देश, हकीकत, यादों की बारात, नया ज़माना, समाधि, प्रतिज्ञा, दिल्लगी, चरस, अपने और यमला पगला दीवाना जैसे कई नाम हैं।

साथ ही शोले, सीता और गीता, दोस्त, धर्मवीर और चुपके चुपके भी। बड़ी बात यह है कि धर्मेन्द्र (Dharmendra) अभी भी फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं। अपनी फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं। पिछले दिनों उनकी दो सफल फिल्में आयीं, ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ तथा ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’। उनकी आने वाली फिल्मों में ‘इक्कीस’ और ‘हाउसफुल-5’ (Housefull 5) प्रमुख हैं। साथ ही वह ‘अपने-2’ (Apne 2) बनाने की तैयारी में भी हैं। फिल्मों को इतना बड़ा योगदान देने के बाद भी धर्मेन्द्र (Dharmendra) को फाल्के पुरस्कार न मिलना बहुत अखरता है।

धर्मेन्द्र पुरस्कार के मामले में शुरू से कुछ पीछे ही रहे हैं

यूं देखा जाए तो धर्मेन्द्र (Dharmendra) पुरस्कार के मामले में शुरू से कुछ पीछे ही रहे हैं। 1960 से ही अपने शानदार अभिनय से सजी एक से एक सफल और अच्छी फिल्म देते रहे। सन 1965 से 1984 तक 7 बार उनका नाम फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित भी हुआ। लेकिन इस दौरान पुरस्कार उन्हें एक बार भी नहीं मिला। उन्हें पहला फिल्मफेयर 1991 में बतौर निर्माता फिल्म ‘घायल’ (Ghayal) के लिए मिला।

धर्मेन्द्र को जब ‘लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड’ मिला तो छलक उठा दर्द

जबकि 1997 में उन्हें फिल्मफेयर का ‘लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड’ मिला तो उनका दर्द मंच पर छलक उठा। यह पुरस्कार लेते हुए मंच पर हँसते-हँसाते बहुत कुछ कह गए। मुझे याद है तब उन्होंने यह भी कहा था, ‘’जब भी मेरा नाम फिल्मफेयर के लिए नामांकित होता तो उम्मीद होती थी कि मुझे फिल्मफेयर मिलेगा। इसी उम्मीद से मैं नया सूट भी सिलवाता रहा कि पुरस्कार मिलेगा तो नया सूट पहनकर जाऊंगा। लेकिन पुरस्कार मुझे ना मिल किसी और को मिल जाता था।‘’ यहाँ तक पदमभूषण भी धर्मेन्द्र (Dharmendra) को बहुत देर से 2012 में मिला।

दो बरस पहले एक बातचीत के दौरान जब धर्म जी (Dharmendra) को मैंने कहा –‘’आपको अभी तक फाल्के नहीं मिला, इस बात का मुझे बहुत मलाल रहता है।‘’ मेरी इस बात को धर्मेन्द्र (Dharmendra) हंस कर टालते हुए बोले-‘’मलाल क्या करना, नहीं मिला तो नहीं मिला। मिलना होगा तो मिल जाएगा। मुझे दर्शकों का, आप जैसे चाहने वालों का जो इतना प्यार मिला है, मेरे लिए वही सबसे बड़ा सम्मान है।‘’

धर्मेंद्र के साथ वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सरदाना

इधर अब जब धर्मेन्द्र (Dharmendra) 89 साल के हो गए हैं। इसलिए अब तो उन्हें यह पुरस्कार मिलने में ज़रा भी देर नहीं होनी चाहिए। पहले भी देखा गया है कि कुछ लोगों को फाल्के सम्मान तब मिला जब वह यह पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली आने में भी असमर्थ थे। प्राण और शशि कपूर इस बात की बड़ी मिसाल हैं।

धर्मेन्द्र अपनी उम्र के हिसाब से अभी काफी स्वस्थ हैं

अच्छी बात यह है कि धर्मेन्द्र (Dharmendra) अपनी उम्र के हिसाब से अभी काफी स्वस्थ हैं। इसलिए भारतीय सिनेमा का यह शिखर सम्मान समय रहते, भले चंगे  रहते मिले तो पुरस्कार लेने वाले को भी अच्छा लगता है तो उनके प्रियजनों को भी। धर्मेन्द्र (Dharmendra) को फाल्के मिलने में पहले ही बहुत देर हो चुकी है। लेकिन उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार अपनी भूल सुधारते हुए, इस खूबसूरत अभिनेता और बेहतरीन इंसान धर्मेन्द्र (Dharmendra) को फाल्के सम्मान से जल्द सम्मानित करेगी।

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