Priyanka Gandhi Vadra: सोनिया गांधी वायनाड में भी क्या इमोशनल कार्ड खेलेंगी, राहुल को रायबरेली को सौंपने के बाद प्रियंका को क्या वायनाड को सौंपेगी

  • प्रदीप सरदाना

    वरिष्ठ पत्रकार

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने रायबरेली की लोकसभा सीट पर इस बार अपनी जगह बेटे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को चुनाव लड़वाया। इससे पहले राहुल अमेठी (Amethi) सीट से चुनाव लड़ते रहे थे। लेकिन 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भाजपा (BJP) की स्मृति ईरानी (Smriti Irani) से चुनाव हार गए। लेकिन उन्हें केरल की वायनाड सीट से विजय  ने उन्हें फिर से सांसद बना दिया।

उधर रायबरेली (Raebareli) सीट से भी पिछली बार सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की जीत का अंतर जिस तरह कम हो गया, उससे सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) भी चिंतित थीं। कहते हैं ना दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है। इसलिए सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने तो रायबरेली (Raebareli) से चुनाव ना लड़ने का फैसला पहले ही ले लिया था। वह लोकसभा चुनाव से पहले ही राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंच गई थीं।

उधर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी इस बार अमेठी (Amethi) से चुनाव लड़ने से डरते रहे। उधर राहुल (Rahul Gandhi) को इस बात की भी चिंता थी कि कहीं वह वायनाड (Wayanad) से भी चुनाव ना हार जाएं। इसलिए वह वायनाड (Wayanad) सीट पर चुनाव होते ही किसी और भरोसेमंद सीट से भी चुनाव लड़ने की योजना पहले ही बना चुके थे।

पीएम मोदी की भविष्यवाणी सच साबित हुई

सोनिया (Sonia Gandhi) रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेंगी और वह राज्यसभा से सांसद बनेगी। साथ ही राहुल (Rahul Gandhi) भी वायनाड सीट पर मतदान खत्म होते ही, किसी अन्य सुरक्षित सीट से नामांकन भरेंगे, इस बात की घोषणा पीएम मोदी (PM Modi) ने भी चुनाव प्रचार के दौरान पहले ही कर दी थी। हुआ भी ऐसा ही। सोनिया (Sonia Gandhi) लोकसभा चुनाव से पहले अप्रैल को ही राज्यसभा सांसद बन गईं। वहीं वायनाड की सीट पर मतदान होने के तीन दिन बाद ही राहुल ने रायबरेली सीट से नामांकन भर दिया।

तब यह उम्मीद भी थी कि प्रियंका वाड्रा (Priyanka Wadra), अमेठी (Amethi) से चुनाव लड़ सकती हैं। साथ ही प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा (Robert Wadra) ने भी अमेठी (Amethi) सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर दी थी। लेकिन प्रियंका (Priyanka Gandhi Wadra) पिछले करीब 20 साल से अपनी माँ और भाई के लिए तो लगातार प्रचार कर ही रही हैं। अब कांग्रेस पार्टी के लिए भी वह जगह जगह खूब प्रचार करती रहीं। लेकिन चुनाव से वह हमेशा डरती सी रहीं। इसलिए इस बार भी प्रियंका और रॉबर्ट को चुनाव नहीं लड़वाया।

लेकिन यह तय था कि यदि राहुल (Rahul Gandhi) रायबरेली और वायनाड दोनों जगह से चुनाव जीत गए। तो राहुल (Rahul Gandhi) जो एक सीट खाली करेंगे, उसके उपचुनाव में प्रियंका (Priyanka Gandhi) को उतार दिया जाएगा। क्योंकि वह सीट कॉंग्रेस (Congress) ही नहीं उनके भाई राहुल (Rahul Gandhi) की विजयी सीट है, तो प्रियंका को भी वहाँ से सीट जीतने मेँ कोई समस्या नहीं होगी।

इधर संयोग से राहुल (Rahul Gandhi) अपनी वायनाड और रायबरेली दोनों सीट भारी मतों से जीत गए। उधर बरसों से गांधी परिवार के साथ अच्छे से जुड़े रहे, किशोरीलाल शर्मा ने भी, अमेठी सीट से पिछली बार की भाजपा सांसद स्मृति ईरानी (Smriti Irani) को, करारी हार देकर चौंका दिया।

इसलिए गांधी परिवार के पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार प्रियंका (Priyanka Gandhi Wadra) को रायबरेली या वायनाड में से एक सीट से चुनाव लड़वाना ही था। लेकिन सवाल यह था कि प्रियंका पहली बार अपने परिवार की बरसों पुरानी कर्मभूमि से चुनाव लड़ेंगी या केरल की वायनाड से ? हालांकि मुझे पूरा विश्वास था कि प्रियंका वायनाड से ही चुनाव लड़ेंगी।

रायबरेली से राहुल की जीत में सोनिया के इमोशनल कार्ड की है बड़ी भूमिका

मेरे इस विश्वास का सबसे बड़ा कारण यह था कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने रायबरेली से राहुल के प्रचार के दौरान एक इमोशनल कार्ड खेलते हुए कहा था –‘’मैं आपको अपना बेटा सौंप रही हूँ। जैसे आपने मुझे अपना माना, वैसे ही राहुल को अपना मानकर रखना है। राहुल आपको निराश नहीं करेंगे।‘’

देखा जाये तो रायबरेली से राहुल की इस जीत में सोनिया (Sonia Gandhi) के इस इमोशनल कार्ड की बड़ी भूमिका है। साथ ही प्रियंका (Priyanka Gandhi Wadra) ने भी रायबरेली और अमेठी दोनों सीट पर लगातार कई दिन डेरा डाल कर, जो मेहनत की उससे भी राहुल (Rahul Gandhi) यहाँ बड़े अंतर से विजयी हुए। लेकिन अब यदि राहुल गांधी अपनी रायबरेली सीट छोड़ते तो प्रियंका का यहाँ से फिर से जीतना कुछ मुश्किल था। क्योंकि जब माँ सोनिया (Sonia Gandhi) अपने बेटे को रायबरेली को ‘सौंप’ चुकी हैं, तो अब राहुल का इस सीट से त्यागपत्र देने से, सोनिया गांधी की यह बात उनके गले का कांटा बन जाती।

साथ ही भाजपा (BJP) भी इस बात को चुनावी मैदान में जमकर मुद्दा बनाती। कहा जाता- सोनिया (Sonia Gandhi) अपने बेटे को रायबरेली के सपुर्द करने की सार्वजनिक घोषणा करके बेटे को वापस ले गईं। कांग्रेस हमेशा अपनी बातों से,वायदों से पीछे हट जाती है। भाजपा द्वारा ऐसे मुद्दे उठाने से,रायबरेली की जनता बुरी तरह नाराज होकर, उपचुनाव में यह सीट भाजपा को जीता सकती थी।

यूं भी उत्तर प्रदेश में इस बार के चुनावों में भाजपा की जिस तरह 62 से घटकर 33 सीट हो गयी हैं, उससे पीएम मोदी (PM Modi) और सीएम योगी (CM Yogi) दोनों ही हैरान हैं। इसलिए अब उत्तर प्रदेश की किसी भी लोकसभा सीट पर उपचुनाव होगा तो भाजपा (BJP) ही नहीं योगी (Yogi Adityanath) भी उसे जीतने के लिए दिन रात एक कर देंगे।

फिर उत्तर प्रदेश में वे महिलाएं विशेषकर मुस्लिम महिलाएं तो चुनाव के बाद से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से यूं भी खफा हो गयी हैं। जिन्होंने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की इस बात पर भरोसा किया था कि 5 जुलाई से सभी महिलाओं के खाते मेँ हर महीने 8500 रुपए खटाखट आने शुरू हो जाएँगे। इसके लिए कांग्रेस ने अनेक महिलाओं से फ़ॉर्म तक भरवा लिए थे। इस भरोसे में असंख्य महिलाओं ने कांग्रेस को जमकर वोट दिया। साथ ही इसी लालच में उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सहित कई जगह मुस्लिम महिलाओं को लंबी-लंबी कतार में डाक घर मेँ खाता खोलने के वीडियो भी वायरल हुए थे।

इसलिए रायबरेली की सीट से राहुल (Rahul Gandhi) को इस्तीफा दिलवाकर, प्रियंका (Priyanka Gandhi Wadra) को यहा से चुनाव में खड़ा करना, सोनिया, प्रियंका और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी था। इससे पहली बार डर-डर कर चुनाव में उतरी प्रियंका के राजनैतिक भविष्य पर सवालिया निशान तो लगते ही, उनका प्रभाव भी कम हो जाता। साथ ही जो कांग्रेस अपनी सिर्फ 99 सीट की जीत पर भी जश्न मना रही है, उस जश्न के गुब्बारे की हवा भी निकल जाती।

इसलिए अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने वायनाड सीट से इस्तीफा देकर अपनी प्यारी बहना को वायनाड से ही उपचुनाव लड़ाने का फैसला ले लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष खडगे (Mallikarjun Kharge) ने, सोनिया, राहुल और प्रियंका की उपस्थिती में इस बात की घोषणा भी कर दी है। यूं इस बात के संकेत पिछले सप्ताह तब भी मिल गए थे, जब राहुल अपनी जीत के बाद वायनाड की जनता को धन्यवाद कहने के लिए वहाँ गए थे। तब राहुल को तो इस असमंजस में दिखाया गया कि वह समझ नहीं पा रहे कि किस सीट को रखें और किससे इस्तीफा दें।

लेकिन केरल कांग्रेस अध्यक्ष ने तभी अपने एक वक्तव्य में साफ कर दिया था कि राहुल वायनाड सीट से इस्तीफा दें तो वायनाड की जनता को नाराज होने की जगह, खुश होना चाहिए। क्योंकि इससे जल्द ही राहुल का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता खुलेगा। फिर यह भी मान्यता है कि पीएम सीट पर पहुँचने का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही निकलता है। इसलिए राहुल (Rahul Gandhi) रायबरेली की अपनी सीट बरकारार रखेंगे और वायनाड सीट से अपनी जगह प्रियंका को सांसद बनाएँगे।

सर्वविदित है केरल में भाजपा कमजोर और कांग्रेस गठबंधन मजबूत है। इसलिए प्रियंका (Priyanka Gandhi Wadra) के पहली बार चुनाव लड़ने के हिसाब से वायनाड सीट काफी सुरक्षित है। लेकिन फिर भी चुनाव तो चुनाव है। जब भाजपा (BJP) अपने गढ़ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में इस बार 29 सीट गंवा सकती है तो केरल (Kerala) में भी कुछ भी हो सकता है।

फिर इन चुनावों में केरल (Kerala) में पहली बार भाजपा (BJP) का खाता खुला है। केरल की त्रिशूर (Trishur) सीट से भाजपा के सुरेश गोपी (Suresh Gopi) पहली बार लोकसभा तो पहुँच ही गए। उन्हें केंद्र में मंत्री भी बना दिया है। इसलिए गोपी सहित पूरी भाजपा (BJP) अपनी ओर से तो चुनाव मैदान में प्रियंका (Priyanka Gandhi Wadra) को हराने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी। लेकिन यह भी कि सोनिया (Sonia Gandhi) रायबरेली वाला सफल इमोशनल कार्ड यहाँ भी फिर खेल सकती हैं। ‘’मैं अपनी बेटी प्रियंका को वायनाड को सौंप रही हूँ।‘’

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