साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता विजय वर्मा को जम्मू के डुग्गर मंच ने किया सम्मानित, अपनी कृतियों से बन गए हैं डोगरी के विशिष्ट हस्ताक्षर

कृतार्थ सरदाना। डोगरी के प्रख्यात कवि और लेखक  विजय वर्मा को, उनके साहित्य और प्रसारण क्षेत्र में किए गए विशिष्ट योगदान के लिए, डुग्गर मंच जम्मू ने सम्मानित किया। जम्मू के प्रेस क्लब में आयोजित इस सम्मान समारोह में क्षेत्र के कई लेखक और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

पिछले दिनों अपनी कृति ‘दऊँ सदियां इक सीर’ के लिए साहित्य अकादेमी 2003 पुरस्कार से सम्मानित  विजय वर्मा  डोगरी भाषा के लिए जिस प्रकार असाधारण कार्य कर रहे हैं, वे निश्चय ही प्रशंसनीय हैं। वह एक कवि-लेखक होने के साथ  एक वरिष्ठ प्रसारक भी है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से बरसों जुड़े रहे विजय की एक समाचार वाचक और अनुवादक के रूप में भी विशेष पहचान रही है। साथ ही वह साहित्य अकादेमी के डोगरी परामर्श मण्डल के भी सदस्य भी हैं।

साहित्य अकादेमी के प्रतिष्ठित सम्मान से पूर्व सन 1994 में , जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी  विजय वर्मा को ‘सर्वश्रेष्ठ युवा कवि पुरस्कार’ से सम्मानित कर चुकी है।

डोगरी काव्य की अनुपम कृति ‘दऊँ सदियां इक सीर’

‘दऊँ सदियां इक सीर’ डोगरी में लिखी लंबी गज़ल की एक मनोरंजक और अनुपम कृति है। जिसमें 721 शेर हैं। जो देश-दुनिया की अनेक परम्पराओं और विसंगतियों पर व्यंग्य कसते हैं। पुस्तक में डोगरी भाषा के कई मुहावरे और खास शब्द तो अत्यंत रोचक और शानदार ढंग से प्रस्तुत किए ही गए हैं। साथ ही क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक झांकी भी पुस्तक में खूब झलकती है। इसीलिए  काव्य साहित्य में इस पुस्तक को एक महत्वपूर्ण योगदान माना गया है। इस पुस्तक को साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिलने के बाद विजय वर्मा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर डोगरी के विशिष्ट हस्ताक्षर बन कर उभरे हैं।

‘दऊँ सदियां इक सीर’ से पहले भी विजय वर्मा अपनी-कलीरे दी  कौड़ी, रणताली रात, कुलदीप सिंह जिन्द्राहियां और आधुनिक भारतीय कविता संचयन जैसी कृतियों के लिए चर्चित रहे हैं।

इधर जम्मू प्रेस क्लब में विजय वर्मा को सम्मानित करते समय सभी की प्रसन्नता और उनका उत्साह साफ झलक रहा था।  जहां उन्हें फूलों की माला पहनाने और उन्हें मिठाई खिलाने का सिलसिला भी चलता रहा।

विजय वर्मा  डोगरी की सेवा और अपने  लेखन से मार्गदर्शन करते रहें – मोहन सिंह

डुग्गर मंच के प्रधान पद्मश्री मोहन सिंह ने विजय वर्मा को सम्मानित करते हुए उन्हें डोगरी की सेवा करने और अच्छे लेखन की बधाई दी। उन्होंने कहा-”मेरी कामना है  विजय जी स्वस्थ रहें , यूं ही मातृभाषा डोगरी की सेवा करते रहें । साथ ही  उनका  लेखन आने  वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देने के साथ लोगों को प्रेरित भी करता रहे।”

कार्यक्रम में  डुग्गर मंच के पदाधिकारियों के साथ कई लेखक और कवि भी सम्मिलित हुए। जिनमें  शिवदेव सुशील, डॉ. सुषमा रानी, डॉ. सरिता खजूरिया, डॉ. शालिनी राणा, रणधीर सिंह रायपुरिया और राकेश वर्मा प्रमुख हैं।

देश, समाज और डोगरी भाषा के लिए सदा समर्पित हूँ – विजय  वर्मा

इस मौके पर विजय वर्मा ने कहा- ”मैं इस सम्मान के लिए  डुग्गर मंच के सभी पदाधिकारियों का आभारी हूँ। समारोह में आए सभी विद्वानों, प्रोफेसर और सभी अन्य गणमान्य व्यक्तियों तथा अपने सभी शुभचिंतकों का भी धन्यवाद करता हूँ। मुझे हमारी डोगरी भाषा के कारण जिस तरह लगातार सम्मान और लोकप्रियता मिल रही है उससे मैं अभिभूत हूँ। साथ ही मैं सभी को विश्वास दिलाता हूँ अपने देश, समाज और डोगरी भाषा के लिए मैं सदा समर्पित रहूँगा। मेरी कविताएं, लेखन लोगों को मार्ग दर्शन दे सकें, उन्हें प्रोत्साहित और प्रेरित कर सकें तो मेरे लिए इससे बड़ा सौभाग्य कुछ और नहीं हो सकता।

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