स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने 10,000 करोड़ रुपये की सफाई परियोजनाओं का किया शुभारंभ, बोले इस सदी का सबसे बड़ा और सफल जन आंदोलन है, 1000 वर्ष बाद भी किया जाएगा याद

स्वच्छता के लिए सबसे महत्वपूर्ण जन आंदोलनों में से एक स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ के 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पीएम नरेन्द्र मोदी ने आज 2 अक्टूबर को 155 वीं गांधी जयंती के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित स्वच्छ भारत दिवस 2024 कार्यक्रम में भाग लिया। श्री मोदी ने करीब 10,000 करोड़ रुपये की विभिन्न स्वच्छता और सफाई परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास किया। इनमें अमृत और अमृत 2.0, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और गोबरधन योजना के तहत विभिन्न परियोजनाएं भी शामिल हैं। स्वच्छता ही सेवा 2024 का विषय है – ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने पूज्य बापू और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती का उल्लेख किया और माँ भारती के सपूतों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि आज का अवसर, सामूहिक रूप से महात्मा गांधी और अन्य महान विभूतियों के सपनों को साकार करने के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

देश के प्रत्येक नागरिक ने इसे अपना मिशन बना लिया है

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2 अक्टूबर को वे कर्तव्य की भावना से भरे हुए हैं, लेकिन साथ ही भावुक भी हैं। स्वच्छ भारत अभियान के 10 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने कहा, “स्वच्छ भारत मिशन की यात्रा करोड़ों भारतीयों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।” उन्होंने पिछले 10 वर्षों में इस आंदोलन को मिले अपार जनसमर्थन पर प्रकाश डाला और कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक ने इसे अपना मिशन बना लिया है – अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।

स्वच्छ भारत के 10 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन को एक बड़े जन आंदोलन में बदलने में सफाई मित्रों, धार्मिक गुरुओं, एथलीटों, मशहूर हस्तियों, गैर सरकारी संगठनों और मीडिया के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने स्वच्छ भारत के लिए भारत के पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के श्रमदान के रूप में योगदान का भी उल्लेख किया और देश को प्रेरित करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

इस वर्ष के सेवा पखवाड़ा में 27 लाख कार्यक्रम में 28 करोड़ लोगों ने भाग लिया

प्रधानमंत्री ने आज गांवों, शहरों और मोहल्लों में हो रही अनेक स्वच्छता गतिविधियों पर प्रकाश डाला और राज्य के मंत्रियों, नेताओं और प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इस साल के स्वच्छता पखवाड़ा में करोड़ों लोगों ने स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में हिस्सा लिया है। उन्होंने कहा कि सेवा पखवाड़ा के 15 दिनों में पूरे देश में 27 लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 28 करोड़ लोगों ने भाग लिया। भारत को स्वच्छ रखने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत के प्रत्येक नागरिक के प्रति आभार व्यक्त किया।

स्वच्छता से संबंधित लगभग 10,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की

आज की महत्वपूर्ण उपलब्धि को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वच्छता से संबंधित लगभग 10,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि ‘मिशन अमृत’ के तहत कई शहरों में जल और सीवेज शोधन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि चाहे वह नमामि गंगे हो या जैविक कचरे को बायोगैस में बदलने की गोबरधन परियोजना, ये परियोजनाएं स्वच्छ भारत मिशन को नई ऊंचाइयों पर ले जायेंगी।

स्वच्छ भारत अभियान सदी का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन आंदोलन, 1000 साल बाद भी याद किया जाएगा

नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जब भारत पर अध्ययन किया जाएगा, तो स्वच्छ भारत मिशन को 1000 साल बाद भी याद किया जाएगा। श्री मोदी ने कहा, “स्वच्छ भारत मिशन इस सदी का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन आंदोलन है, जिसमें लोगों की भागीदारी और लोगों का नेतृत्व है।” उन्होंने कहा कि इस मिशन ने लोगों की वास्तविक ऊर्जा और क्षमता को उनके सामने उजागर किया है।

शौचालय बनाने के लिए महिलाओं ने अपना मंगलसूत्र तक बेच दिए

पीएम मोदी ने कहा कि उनके लिए स्वच्छता लोगों की शक्ति के अनुभव करने का उत्सव बन गया है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि जब स्वच्छता अभियान शुरू किया गया था, तो लाखों लोगों ने एकजुटता दिखायी थी, चाहे वह शादी का उत्सव हो या कोई सार्वजनिक समारोह हो या कोई अन्य स्थान हो, स्वच्छता का संदेश प्रभावी ढंग से फैलाया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां बुजुर्ग माताओं ने शौचालय बनाने के लिए अपने मवेशी बेच दिए, कुछ महिलाओं ने अपना मंगलसूत्र बेच दिए, कुछ लोगों ने अपनी जमीन बेच दी, कुछ सेवानिवृत्त शिक्षकों ने अपनी पेंशन दान कर दी, कुछ सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों ने स्वच्छता के मिशन के लिए अपनी सेवानिवृत्ति लाभ दान कर दिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर यही दान किसी मंदिर या किसी समारोह में दिया जाता, तो यह अखबारों की सुर्खियां बन जाता। उन्होंने कहा कि देश को जानना चाहिए कि ऐसे लाखों लोग हैं, जिनका चेहरा कभी टीवी पर नहीं दिखाया गया, जिनका नाम कभी अखबार में नहीं छपा, लेकिन उन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपना पैसा और बहुमूल्य समय दान किया। श्री मोदी ने कहा कि ये सभी उदाहरण भारत की प्रकृति को दर्शाते हैं।

प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने के आह्वान पर लोगों ने जूट और कपड़े के थैलों का उपयोग करना किया शुरू

पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब उन्होंने एकल-उपयोग (सिंगल-यूज) प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने का आह्वान किया, तो कई लोगों ने खरीदारी के लिए जूट और कपड़े के थैलों का उपयोग करने की परंपरा को फिर से शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि वे एकल-उपयोग प्लास्टिक के उत्पादन में शामिल उद्योगों के साथ-साथ लोगों के भी आभारी हैं, जिन्होंने इस पहल का समर्थन किया। उन्होंने इस पहल का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों को भी धन्यवाद दिया।

‘मन की बात’ कार्यक्रम में करीब 800 बार स्वच्छता के मुद्दे को उठाया

नरेन्द्र मोदी ने पिछले 10 वर्षों में फिल्मों के माध्यम से स्वच्छता के संदेश के प्रचार-प्रसार में भारतीय फिल्म उद्योग के योगदान का उल्लेख किया और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के काम को सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी किया जाना चाहिए। उन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में करीब 800 बार स्वच्छता के मुद्दे को उठाने का उदाहरण दिया, जहां लोगों ने इसे सबसे आगे रखा था।

गांधी का नाम वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करने वाले ही उनकी प्रमुख बातों को भूल गए

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के प्रति लोगों के प्रयासों का उल्लेख किया और कहा, ”स्वतंत्रता दिवस के दौरान महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता का मार्ग दिखाया था।”उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के बाद पिछली बार स्वतंत्रता की प्रतिध्वनि का बहिष्कार किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने महात्मा गांधी का नाम अपने राजनीतिक लाभ और वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया, वे अब उनकी प्रमुख बातों को भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि कभी भी राष्ट्रीय स्तर पर कचरे और शौचालयों की कमी पर विचार नहीं किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके बजाय, समाज में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई और गंदे जीवन का हिस्सा बन गया। उन्हें लाल किले की प्राचीर से इस मुद्दे को उठाने के बाद आलोचना का सामना करना भी याद आया। उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री की पहली प्राथमिकता आम नागरिकों का जीवन बनाना आसान है।”उन्होंने शौचालय और सैनिटरी पैड के बारे में बात करते हुए अपनी जिम्मेदारी बताई। उन्होंने कहा कि इसके नतीजे आज भी देखे जा सकते हैं।

भारत में 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या खुले में शौच करने को मजबूर थी

प्रधानमंत्री ने कहा कि दस साल पहले तक भारत में 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वाले शौचालयों की कमी के कारण खुले में शौच करने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह मानवता गरिमा के खिलाफ है और देश के गरीबों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के प्रति असम्मानजनक है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी आ रही है। नरेन्द्र मोदी ने शौचालयों की कमी का कारण बताकर बहनों और बेटियों की पीड़ा का उल्लेख किया और उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा की वकालत की। उन्होंने कहा कि खुले में शौच से होने वाली गंदगी ने बच्चों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया और यह बाल मृत्यु दर का एक बड़ा कारण है।

देश में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए

इस बात को लेकर कहा गया कि देश के लिए ऐसी अंतिम स्थिति में रहना मुश्किल हो गया था, श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने तय किया कि ऐसी चीजें ही जारी नहीं की जा सकेंगी। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने राष्ट्रीय और मानवतावादी चुनौती को ध्यान में रखते हुए इसके समाधान अभियान और इसे लागू करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ ही समय में करोड़ों भारतीयों ने चमत्कार कर दिखाया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए और शौचालय के प्रस्ताव का आधार पहले 40 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक हो गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि देश के आम लोगों के जीवन में स्वच्छ भारत मिशन का क्या प्रभाव है। इंटरनेशनल बिजनेस रिसर्च इंस्टीट्यूट वाशिंगटन, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के संयुक्त रूप से एक प्रसिद्ध इंटरनेशनल मैगजीन के हाल के अध्ययन की सलाह देते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह बात सामने आई है कि हर कोई स्वच्छ भारत मिशन से है। साल 60 से 70 हजार बच्चों की जान बच रही है।

पीएम मोदी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2014 से 2019 के बीच 3 लाख लोगों की जान बचाई गई, जो डायरिया के कारण गांव दिया गया। यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि शौचालय निर्माण से अब तक 90 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को सुरक्षित महसूस होता है और स्वच्छ भारत मिशन के कारण महिलाओं में संक्रमण से होने वाली समस्या में भी काफी कमी आई है। श्री मोदी ने आगे कहा कि लाखों स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट बनने से लेकर स्कूल के दर में कमी है। उन्होंने यूनिसेफ के एक अध्ययन में बताया कि शौचालय के कारण आदिवासियों में हर साल औसतन 50 हजार रुपये की बचत हो रही है, जो पहले स्वास्थ्य के इलाज पर खर्च हो रहे थे।

स्वच्छ भारत मिशन से आई जन जागरूकता पर प्रकाश डाला गया, प्रधानमंत्री ने गोरखपुर में दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों की मौत का उदाहरण दिया, जिसका स्वतंत्रता समाधान पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में स्वतंत्रता से जुड़ी प्रतिष्ठा में वृद्धि का बहुत बड़ा विचार आया है। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन द्वारा सोच में दिए गए बदलावों का उल्लेख किया और स्वच्छता कार्य में लोगों का उदाहरण शामिल किया, जिन्हे पहले निंदा की विचारधारा से देखा गया था।

हम दिग्गज और पहलवानों को भी प्रोफेसर बना रहे हैं

प्रधानमंत्री ने कहा, ”जब स्वच्छता मित्रों को सम्मान मिला, तो उन्हें भी देश में अपनी भूमिका पर गौरव महसूस हुआ। स्वच्छ भारत अभियान ने लाखों स्वच्छता मित्रों को गौरवान्वित किया है।” उन्होंने मित्रों के जीवन और सुरक्षा के लिए प्रति सरकार की मित्रता को दोहराया। श्री मोदी ने कहा कि लोगों के काम करने के लिए पनडुब्बी टैंकों में पैदा होने वाली समस्याओं को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है और कहा कि सरकार इस संबंध में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने कहा, ”हम दिग्गज और पहलवानों को भी प्रोफेसर बना रहे हैं।” स्वच्छ भारत अभियान के व्यापक रूप से प्रोटोटाइप पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह केवल स्वतंत्रता कार्यक्रम नहीं है और आज स्वतंत्रता, समृद्धि का नया मार्ग बनाया जा रहा है।

यूनिसेफ के अनुसार स्वच्छ भारत अभियान के कारण लगभग 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है

पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान से देश में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हो रहा है और पिछले कुछ वर्षों में घरेलू शौचालयों के निर्माण से कई क्षेत्र विकसित हुए हैं और कई लोगों को रोजगार मिला है। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान में राजमिस्त्री, प्लंबर, मजदूर जैसे कई लोगों को रोजगार मिला हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि यूनिसेफ का अनुमान है कि इस मिशन के कारण लगभग 1.25 करोड़ लोगों को किसी न किसी रूप में रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने इस बात को प्रकाश में डाला कि महिला राजमिस्त्रियों की एक नई पीढ़ी स्वच्छ भारत अभियान का एक बड़ा उद्देश्य रही है और हमारे बच्चों को भी स्वच्छता-तकनीक के माध्यम से बेहतर रोजगार और बेहतर अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्वच्छता-तकनीक से संबंधित लगभग 5 हजार स्टार हैं।

गोबरधन योजना के तहत पूरे क्षेत्र में तीन बायोगैस प्लांट लगाए गए

प्रधानमंत्री ने कहा, ”स्वच्छ भारत मिशन ने भारत में चक्रीय उद्योग को महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया है।”उन्होंने इस बात को प्रकाश में डाला कि गोदाम से आश्रम वाले सिंगापुर को अब मूल्यवान रूप से संशोधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक से बने पदार्थ, बायोगैस, बिजली और सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले चारकोल जैसे सोडा का उत्पादन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने गोबरधन योजना की सफलता की बात कही, जिस ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में बदलाव की बात की, वह एक प्रमुख नेता हैं और उन्होंने बताया कि गोबरधन योजना के तहत पूरे क्षेत्र में तीन बायोगैस प्लांट लगाए गए हैं, जहां-जहां पशुधन को बायोगैस में बदला जा रहा है। ।। उन्होंने आगे कहा कि देश भर में सैकड़ों सोलर बायोगैस प्लांट भी स्थापित किए गए हैं। आज, नए सीबीजी प्लांट्स का उद्घाटन किया गया है और इसे और आगे बढ़ाने के लिए नए टेलीकॉम की भी शुरुआत की गई है।

गंगा काफी साफ हो गई है

पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था और भविष्य के शहरी विकास में तेजी से हो रहे बदलावों के प्रति अनुकूल होने के महत्व पर जोर दिया। वे तेजी से हो रहे शहरीकरण और स्कूल के उत्पादों का मुकाबला करने के लिए कुशल अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कंक्रीट के विस्तार पर जोर देते हैं। उन्होंने निर्माण में ऐसी इमारतों के विकास की आवश्यकताओं पर भी बल दिया, जो पुनर्चक्रित युवाओं के उपयोग को बढ़ावा देते हैं और कहा कि आवास परिसरों के लिए ऐसे डिजाइन तैयार करने चाहिए, जो शून्य या न्यूनतम अवशेषों का संरक्षण सुनिश्चित करते हैं।

नरेन्द्र मोदी ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किया कि पानी का महत्व न हो और उपयोग से पहले अपशिष्ट जल का शोध किया जाए। नमामि गंगे मिशन को लेकर एक मॉडल आज नदी में उतरे, प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा काफी साफ हो गई है। उन्होंने अमृत मिशन और अमृत सरोवर पहलों का उल्लेख किया, जो महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने जल संरक्षण, शोधन और नदी की सफाई के लिए नए अवशेषों में निरंतर निवेश का महत्व बताया। पीएम मोदी ने स्वच्छता और पर्यटन के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला और कहा कि स्वच्छता पर्यटन गंतव्य स्थलों और विरासत स्थल पर्यटन के अनुभव को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे पर्यटन-स्थलों, आस्था-स्थलों और विरासत-स्थलों को साफ-सुथरा और अच्छी तरह से व्यवस्थित रखना महत्वपूर्ण है।

‘स्वच्छ भारत अभियान में बहुत कुछ हासिल किया लेकिन मिशन अभी पूरा नहीं हुआ

पिछले दशक में हुई प्रगति के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ”स्वच्छ भारत के बारे में दस वर्षों में हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन हमारा मिशन अभी पूरा नहीं हुआ है। तब सच्चा बदलाव होता है, जब हर नागरिक स्वतंत्रता को अपना कर्तव्य बनाता है और जिम्मेदारी लेबल है।”प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की पुष्टि की और स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर नागरिक की निरंतर भागीदारी की बात कही। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता का मिशन एक दिन का नहीं, बल्कि पूरे जीवन का संस्कार है और इसे पीहरी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता हर नागरिक की सहज स्वतंत्रता होनी चाहिए और इसका हर दिन होना चाहिए। उन्होंने अगली पीढ़ी के बच्चों से कहा कि वे तब तक न रुकें, जब तक भारत में वास्तव में आनंद न हो जाए।

प्रधानमंत्री ने राज्य से भी जिले, ब्लॉक, गांव और स्थानीय स्तर पर स्वतंत्रता पहल को लागू करने के लिए अपने प्रयास को तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने जिला और ब्लॉक स्तर पर सबसे अधिक स्वच्छ स्कैल, अस्पतालों और पर्यटकों के लिए प्रतियोगिता आयोजित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक शौचालयों की सफाई और व्यवस्था पर पुराने मानकों पर जोर न दिया जाए। उन्होंने स्थानीय औपनिवेशीकरण से स्वतंत्रता अवसंरचना और अविभाज्य प्रशिक्षुता को प्राथमिकता देने का भी आग्रह किया।

सभी स्थानों में बनाए रखें स्वच्छ्ता

प्रधानमंत्री मोदी ने सभी नागरिकों से यह संकल्प लेने के लिए कहा कि वे जहां भी हों, चाहे घर पर हों, अपने संबंधों में हों या अपने हितों पर हों, स्वच्छ्ता बनाएं। उन्होंने कहा, ”जिस तरह हम अपने पूजा स्थलों को साफ रखते हैं, उसी तरह हमें अपने आस-पास के क्षेत्र में भी स्वछता के प्रति समर्पण की भावना पैदा करनी चाहिए”, उन्होंने भारत की यात्रा में स्वतंत्रता की भूमिका के प्रकाश को विकसित किया। अपने सिद्धांतों का समापन करते हुए, प्रधान मंत्री ने समर्थकों से नई ऊर्जा और उत्साह के प्रति विश्वास हासिल करने के लिए महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल बागान, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पटेल, केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू और केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी भी शामिल हुए।

9600 करोड़ रुपये से अधिक की इन परियोजनाओं का किया शुभारंभ

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और सफाई से जुड़ी 9600 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास किया। इनमें शामिल हैं – 6,800 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं, जिनका उद्देश्य अमृत और अमृत 2.0 के तहत शहरी जल और सीवेज प्रणाली को बेहतर बनाना है; राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत  1550 करोड़ रुपये से अधिक की 10 परियोजनाएं, जो गंगा बेसिन क्षेत्रों में जल गुणवत्ता और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार पर केंद्रित हैं तथा गोबरधन योजना के तहत 1332 करोड़ रुपये से अधिक की 15 संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र परियोजनाएं।

स्वच्छ भारत दिवस कार्यक्रम, भारत के दशक में पूर्ण स्वतंत्रता ही सेवा अभियान की सुविधा और हाल ही में स्वच्छ भारत दिवस कार्यक्रम को दर्शाया गया है। यह इस राष्ट्रीय प्रयास के अगले चरण के लिए भी मंच तैयार करना है। इसमें स्थानीय सरकारी संस्थान, महिला प्लास्टिक, युवा छात्र और वैज्ञानिक प्रमुख समूहों की राष्ट्रीय भागीदारी भी शामिल होगी, जिसे भारत के हर कोने तक संपूर्ण स्वतंत्रता की भावना की गारंटी दी जाएगी।

स्वतंत्रता ही सेवा 2024 का विषय, ‘स्वभाव स्वतंत्रता, संस्कार फिर स्वतंत्रता’ ने एक बार देश को स्वतंत्रता, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति अपनी एकता को एकजुट किया है। स्वतंत्रता ही सेवा 2024 के तहत 17 करोड़ से अधिक लोगों की जनभागीदारी के साथ 19.70 लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। लगभग 6.5 लाख स्वतंत्रता लक्ष्य इकाइयों का रूपांतरण हासिल किया गया है। लगभग 1 लाख से अधिक स्वच्छता मित्र सुरक्षा शिविर भी आयोजित किए गए, जिनसे 30 लाख से अधिक मित्रों को लाभ मिला है। इसके अलावा ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 45 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं।

यह भी पढ़ें- Sonal Mansingh: अब फिल्मों में काम करना चाहती हैं सोनल मानसिंह, 80 बरस की उम्र में है कमाल का जज़्बा

Related Articles

Back to top button