मुकेश के 101वें जन्मदिन पर पुत्र नितिन मुकेश ने किया कमाल, छेड़ी सुरों की ऐसी ताल बंध गया समां

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

महान गायक मुकेश (Mukesh) को इस दुनिया को अलविदा कहे 48 बरस हो गए हैं। लेकिन मुकेश (Mukesh) और उनके गीतों की दीवानगी आज भी कितनी है,उसकी एक मिसाल गत 24 जुलाई को दिल्ली में देखने को मिली। जहां आकाशवाणी के अत्याधुनिक रंग भवन सभागार में, मुकेश (Mukesh) के सदाबहार गीतों की ऐसी संगीत संध्या का आयोजन हुआ जिसकी गूंज बरसों रहेगी।

संगीत नाटक अकादमी और संस्कृति मंत्रालय ने मनाया मुकेश का 101वां जन्मदिन

गायक नितिन मुकेश (Nitin Mukesh) ने इस समारोह में अपने पिता मुकेश (Mukesh) के कई गीत गाकर इस शाम को यादगार बना दिया। पिछले वर्ष 22 जुलाई को देश-दुनिया ने मुकेश (Mukesh) की जन्म शताब्दी धूम-धाम से मनाई थी। इधर अब संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi) और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने मुकेश (Mukesh) के 101 वें जन्म दिन को भी शानदार ढंग से मनाकर, इस परंपरा को आगे बढ़ाया।

मुकेश (Mukesh) मेरे भी बेहद पसंदीदा गायक रहे हैं। मुकेश (Mukesh) के भाई परमेश्वरी दास माथुर (Parmeshwari Das Mathur) से तो मेरे कई बरस मधुर संबंध रहे। करीब 40 बरस पहले, उनके इन भाई से मैंने मुकेश (Mukesh) को लेकर एक इंटरव्यू भी किया था। परमेश्वरी दास (Parmeshwari Das Mathur) स्वयं भी शौकिया मगर अच्छा गाते थे। नितिन मुकेश (Nitin Mukesh) से भी मैं उनके पिता की स्मृतियों पर अक्सर बातें करता रहता हूँ।

इसलिए दिल्ली में ‘शतायु मुकेश’ (Shatayu Mukesh) समारोह का जब संगीत नाटक अकादमी (Sangeeta Natak Akademi) के साथ संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) से भी मुझे आमंत्रण मिला तो वहाँ जाने का मन तो बन ही गया था।

लेकिन जब उसी दिन कार्यक्रम से तीन घंटे पहले, नितिन मुकेश (Nitin Mukesh) ने भी मुझे फोन करके कहा-‘’आप समारोह में आ रहे हैं ना ? मैंने किसी और को फोन नहीं किया। सिर्फ आपको फोन कर रहा हूँ। क्योंकि आप वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ एक जिम्मेदार पत्रकार भी हैं। आप जब भी पापा पर लिखते हैं या राज कपूर (Raj Kapoor) और अन्य हस्तियों पर लिखते हैं तो वह मुझे बहुत अच्छा लगता है।‘’

लंबे अंतराल के बाद फिल्म संगीत का खूबसूरत कार्यक्रम देखने को मिला

नितिन मुकेश (Nitin Mukesh) का यह अपनत्व और सम्मान देख मुझे खुशी हुई। अब तो इस समारोह में जाना पक्का होना ही था। समारोह में पहुँचने पर मुझे परम आनंद आया। यदि समारोह में नहीं जाता तो बहुत अफसोस रहता। सच कहूँ तो लंबे अंतराल के बाद फिल्म संगीत का इतना खूबसूरत कार्यक्रम देखने-सुनने को मिला।

इधर नितिन मुकेश (Nitin Mukesh) के जन्म का भी यह 75 वां वर्ष है। गत 27 जून को मैंने उन्हें भी जन्म दिन की बधाई दी थी। वह एक अच्छे गायक ही नहीं भले इंसान भी हैं। भगवान और पिता मुकेश (Mukesh) के लिए वह सदा दिल की गहराइयों से आभार प्रकट करते रहते हैं। अब भी अपने इस कार्यक्रम में और कार्यक्रम के बाद मेरी जब उनसे मुलाक़ात हुई तब भी हमेशा की तरह बोले-‘’मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि मुझे मुकेश वंश में जन्म मिला। मैं इसके लिए भगवान का जितना भी शुक्रिया करूँ कम है।‘’

गजेन्द्र सिंह शेखावत भी मुकेश को लेकर अभिभूत दिखे

समारोह में केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) मुख्य अतिथि थे। शेखावत भी मुकेश (Mukesh) को लेकर अभिभूत थे। उन्होंने अपनी स्मृतियाँ साझा करते हुए बताया कि उन्हें अपने छात्र और वैवाहिक जीवन के शुरुआती दिनों में मुकेश (Mukesh) के कौन-कौन से गीत बहुत लुभाते थे। साथ ही खचाखच भरे सभागार को देखकर शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने कहा-‘’यह कार्यक्रम हम और भी पाँच गुना बड़े सभागार में कराते तो वह भी भर जाता।‘’

मुकेश जन्म शताब्दी पर भारत सरकार ने एक स्मारक डाक टिकट भी किया जारी

मुकेश जन्म शताब्दी के मौके पर भारत सरकार ने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। इस रस्म में गजेंद्र शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) के साथ,केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदूरी तथा अमिता प्रसाद साराभाई, दिल्ली परिमंडल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल-कर्नल अखिलेश कुमार पांडे और नितिन मुकेश तो मौजूद थे ही।

साथ ही मुकेश की बेटी नम्रता (Namrata) और मुकेश (Mukesh) के पौत्र नील नितिन मुकेश (Neil Nitin Mukesh) और नमन (Naman) भी इस खास मौके पर मंच पर शामिल रहे। यूं समारोह में मुकेश के भतीजे, भतीजी और भांजे-भांजियां सहित परिवार के और भी कई सदस्य समारोह की शोभा बढ़ा रहे थे। जिनमें नितिन मुकेश की ससुराल वाले भी थे।

खूबसूरत गीत गाकर बांध लिया समां

डाक टिकट जारी होने के बाद जैसे ही नितिन मुकेश (Nitin Mukesh) ने गायकी के लिए मंच संभाला तो कुछ ही पलों में उनका जादू चल निकला। हमेशा की तरह उनकी पहली प्रस्तुति भगवान राम के भजन के साथ हुई। इसके बाद तो नितिन (Nitin Mukesh) ने कभी अपनी पसंद के और कभी दर्शकों की फरमाइश पर, एक-एक करके इतने खूबसूरत गीत गाए कि समां ही बंध गया।

किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार, डम डम डिगा डिगा, जीना यहाँ मरना यहाँ, कहीं दूर जब दिन ढल जाये, ये मेरा दीवानापन है, इक प्यार का नगमा, चाँद सी महबूबा हो मेरी, इक दिन बिक जाएगा जैसे कितने ही गीत गाकर नितिन (Nitin Mukesh) ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। पूरा सभागार इन गीतों को नितिन (Nitin Mukesh) के साथ गा रहा था, झूम रहा था।

हालांकि इस खूबसूरत समारोह में तीन गीतों की कमी खली। एक वह गीत ‘आवारा हूँ’ जिसने पहली बार देश की सीमाएं लांघ कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबर्दस्त लोकप्रियता पायी। रूस में तो यह गीत आज भी भारतीय संगीत ही नहीं भारतीयों की भी बड़ी पहचान बना हुआ है। साथ ही ‘दोस्त दोस्त ना रहा’ और ‘मेरा जूता है जापानी’ जैसे गीत नितिन ने फरमाइश के बाद भी नहीं सुनाये। शायद समय की सीमा रही या कोई और मजबूरी।

नितिन मुकेश की रगों में है संगीत

फिर यह भी है कि मुकेश (Mukesh) के गाये करीब कुल 900 गीतों में 100 से अधिक गीत तो लोकप्रियता के शिखर पर कल भी थे,आज भी हैं और कल भी रहेंगे। इसलिए किसी भी एक समारोह में मुकेश (Mukesh) के सर्वाधिक लोकप्रिय गीत भी नहीं सुनाये जा सकते। लेकिन अपनी इस उम्र में भी नितिन (Nitin Mukesh) ने करीब दो घंटे तक लगातार तन्मयता और मधुरता के साथ गीत गाकर, सभी को जता दिया कि संगीत उनकी रगों में है। वह एक महान पिता के योग्य पुत्र हैं।

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