RSS प्रमुख मोहन भागवत का अलवर में शंखनाद, कहा भारत हिन्दू राष्ट्र है, हिन्दू संसार का पालनहार, अब हर गांव में लगेंगी संघ की शाखाएं

श्याम भाई। सत्य सनातन के प्रतीक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरसंघ चालक राष्ट्र के तपस्वी महामना मोहन भागवत ने बाबा भर्तृहरि की तपोभूमि पर आने वाले समय में हिंदू जीवन शैली का चित्र खींच दिया है। श्री भागवत राजस्थान के पांच दिवसीय प्रवास पर हैं। लगता है वे राजस्थान की वीर भूमि के तपो स्थल अलवर में बैठ कर संघ की स्वर्ण जयंती के बाद वाले संघ की नई इबारत लिख रहें हैं।

संघ प्रमुख का अलवर प्रवास कई मायनों में बेहद अहम है। उनके तेवर कुछ बदले बदले से नजर आते हैं। आज उन्होंने जोर देकर कहा ..भारत हिन्दू राष्ट्र है हिन्दू संसार का पालनहार है। उन्होंने संघ की कार्यशैली को नई दिशा दी वे स्वयं सेवकों से बोले…संघ को समाज बनाओ समाज को संघ बनाओ उनका कहना था कि हिंदू समाज का बंटना गड़बड़ काम है हमें आगे बढ़ कर इस कमी को ठीक करना होगा। हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति की चिंता करें।

मैं हिंदू समाज को डरा नहीं रहा हूं बल्कि जगा रहा हूं

मोहन भागवत ने चेताया कि भारत राष्ट्र पर आक्रांताओं ने खूब हमले किए हमने बहुत कुछ खोया है। हमारा धर्म सुरक्षित रहा तो हमने कुछ खोया हुआ वापस हासिल किया पर मौजूदा हालात में हम जाति पांतियों में ही बंटे रहे तो क्या गारंटी है कि आक्रांताओं का हमला नहीं होगा? उन्होंने कहा कि मैं हिंदू समाज को डरा नहीं रहा हूं बल्कि जगा रहा हूं। हिंदू कभी डरा नहीं इसी लिए आज भी विश्व में हमारा धर्म जिंदा है सुरक्षित है हमारी गड़बड़ से आगे कभी ऐसा नहीं हो इसलिए पूरे समाज को अब संघ बनाना है।

अब गांव गांव में संघ की शाखाएं लगेंगी

सरसंघ चालक ने ऐलान किया कि अब गांव गांव में संघ की शाखाएं लगेंगी। शताब्दी वर्ष के बचे समय में आने वाले समय की तैयारियों पर भागवत ने खुलासा किया कि संघ अब जीवन शैली के पांच सूत्र पर काम करेगा। समरसता,पर्यावरण, संस्कार, स्वदेशी,अनुशासन जीवन शैली के अंग होंगे।

इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित स्वयं सेवकों के एकत्री करण कार्यक्रम में वे हिन्दू जीवन शैली के पांच सूत्रों को मनुष्य जीवन में अनिवार्य रूप से उतारने का सूत्रपात करने में जरूर सफल हो गए हैं। उन्होंने कहा भाषा, भूषण, भ्रमण, भजन और भोजन अलग अलग हो सकते हैं पर हिंदू समाज अलग कैसे हो सकता है?

संघ को नई दिशा और दशा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है गहन चिंतन-मंथन

लगता है श्री भागवत इस अलवर प्रवास में आज के नए दौर में संघ को नई दिशा और नई दशा प्रदान करने के लिए गहन चिंतन मंथन कर रहें हैं। भागवत सत्रह सितंबर तक अलवर की तपो भूमि पर रहकर आरएसएस के प्रचारकों और विचारधारा के बुद्धिजीवियों से भी राय मशविरा कर रहें हैं।

आज के अपने बौद्धिक में भागवत ने इशारों इशारों में बड़ी महत्त्व पूर्ण बात कह डाली। उन्होंने कहा कि हम किसी से भी डरते नहीं है हमारे काम में लोग बाधा उत्पन्न करते हैं पर ऐसी बाधाओं का हम समय रहते ठंडे दिमाग से इलाज करना जानते हैं। अब हम किसी महापुरुष पर अवल्मबित नहीं होंगे। हर व्यक्ति को महान कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगे। मोहन भागवत ने सही मायने में हिन्दुओं की पहचान का उल्लेख करते हुए चाणक्य नीति का श्लोक पढ़ा…

मातृवत परदारेषु
परद्र्व्येषु लोष्ठवत
आत्मवत सर्वभूतेषु

उन्होंने मातृ शक्ति का सम्मान और पर धन का तिरस्कार करने के साथ साथ हर जीव को अपने जैसा समझने की अपील की। संघ प्रमुख ने..

यदा यदा ही धर्मस्य
ग्लानिर्भवति भारत…
श्रीमद भागवत गीता श्लोक को उद्धृत कर स्वयं सेवकों में जोश का संचार किया।

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