Delhi Services Bill: दिल्ली सेवा बिल पास होने पर बोले अमित शाह “दिल्‍ली में प्रशासन को भ्रष्टाचार मुक्‍त बनाना है”

संसद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 (Delhi Services Bill) पारित हो गया है। सोमवार 7 अगस्त को राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 131 सांसदों ने जबकि विपक्ष में 102 सांसदों ने वोट किया। यह विधेयक लोकसभा में पिछले सप्‍ताह ही पारित हो गया था। इस विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 में संशोधन का प्रावधान है। यह केंद्र सरकार को अधिकारियों के कार्यों, नियमों और सेवा की अन्य शर्तों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मामलों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है।

इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान है। इस प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे। प्राधिकरण अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्तियों तथा अनुशासनात्मक कार्रवाईयों के मामलों के संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल को सिफारिशें देगा। केंद्र सरकार इस संबंध में इसी साल मई में अध्यादेश लाई थी।

चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य दिल्‍ली में प्रशासन को भ्रष्टाचार मुक्‍त बनाना है। उन्‍होंने कहा कि यह विधेयक उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है। अमित शाह ने कहा कि दिल्‍ली में 2015 से पहले भाजपा और कांग्रेस की सरकार रही थी, लेकिन तब केंद्र के साथ कभी टकराव नहीं हुआ।

गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली सेवा विधेयक आपातकाल लगाने या लोगों के अधिकार छीनने के लिए नहीं लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार, दिल्ली के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए सेवा विधेयक लेकर आई है। उच्‍चतम न्‍यायालय ने भी अपने फैसले में कहा था कि केंद्र सरकार दिल्ली से संबंधित कानून बना सकती है। दिल्ली अन्‍य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भिन्न है क्योंकि यह राष्ट्रीय राजधानी है और यहां संसद, उच्‍चतम न्‍यायालय और दूतावास स्थित हैं। कांग्रेस पार्टी अपने द्वारा ही पहले लाए गए कानून का विरोध केवल राजनीतिक स्वार्थ और आम आदमी पार्टी को खुश करने के लिए कर रही है।

अमित शाह ने कहा कि उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले के बाद, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने सतर्कता विभाग में तत्काल तबादलों का आदेश दिया क्योंकि यह उत्पाद शुल्क नीति घोटाले और मुख्यमंत्री आवास नवीकरण की जांच कर रहा था। दिल्ली सरकार ने सतर्कता विभाग को लेकर इतनी जल्दबाजी इसलिए दिखाई क्योंकि उसके पास घोटालों से जुड़ी फाइलें थीं।

संसद को बाधित करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है और सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्‍होंने कहा कि विपक्ष कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा है तभी वह चर्चा नहीं होने दे रहा। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष चर्चा चाहता है तो 11 अगस्त को चर्चा कराई जा सकती है।

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह कानून दिल्ली के मुख्यमंत्री के अधिकार को कमजोर करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के माध्यम से चलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने इस विधेयक को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताया। सिंघवी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

डीएमके के तिरुचि शिवा ने भी यही विचार व्यक्त किया और कहा कि यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के लागू होने से अधिकारी दिल्ली सरकार के नियंत्रण में नहीं रहेंगे। विधेयक का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि यह संविधान और उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले का अपमान है। उन्होंने कहा कि इसका इरादा दिल्ली के उपराज्यपाल को सारी शक्तियां देने का है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्‍य दिग्गज भाजपा नेताओं ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात की थी, लेकिन अब यही भाजपा दिल्ली सरकार की शक्तियां छीन रही है।

टीएमसी के सुखेंदु शेखर रॉय, बीआरएस के के केशव राव, जनता दल-यू के अनिल हेगड़े, सीपीआई-एम के बिकास रंजन भट्टाचार्य और राष्‍ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने भी विधेयक का विरोध किया।

वहीं, विधेयक का समर्थन करते हुए भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा नौकरशाही को धमकाने और कथित भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिशों के कारण यह विधेयक बेहद जरूरी था। उन्होंने कहा कि यदि प्राधिकरण का स्पष्ट आदेश नहीं होगा तो प्रशासन काम नहीं करेगा।

सुधांशु त्रिवेदी ने विधेयक का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री आवास निर्माण में भ्रष्टाचार का मुद्दा और पार्टी की नैतिकता पर सवाल उठाया। पार्टी के एक अन्य सदस्य राधा मोहन दास ने भी दिल्ली सरकार के कथित भ्रष्टाचार और अक्षमता का मुद्दा उठाया। वाई.एस.आर.सी. के वी. विजयसाई रेड्डी और बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने भी विधेयक का समर्थन किया।

भारत के पूर्व मुख्‍य न्‍यायाधीश और सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि दिल्‍ली सरकार के अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण से संबंधित अध्‍यादेश की जगह लाया गया यह विधेयक पूरी तरह से वैध है।

राज्यसभा ने दिल्ली सेवा विधेयक को सदन की प्रवर समिति को भेजने के विपक्ष के प्रस्ताव को भी ध्वनिमत से खारिज कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, दो सदस्यों ने कहा है कि उन्होंने आप सांसद राघव चड्ढा द्वारा प्रदत्त चयन समिति का हिस्सा बनने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कैसे हो गये।

बीजेडी सांसद सस्मित पात्रा और एआईएडीएमके सांसद डॉ. एम. थंबीदुरई ने दावा किया कि उन्होंने कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और यह विशेषाधिकार का मामला है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि चार सांसदों ने उन्हें लिखा है कि उनकी ओर से कोई सहमति नहीं दी गई है और मामले की जांच की जाएगी।

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