International Festival on Indian Dance: देश विदेश की विख्यात नृत्यांगनाएँ दिल्ली में एक मंच पर, संगीत नाटक अकादमी का भारतीय अंतरराष्ट्रीय नृत्योत्सव का महाआयोजन

देश की प्रतिष्ठित संस्था संगीत  नाटक अकादमी 16 से 21 अक्टूबर के दौरान दिल्ली में  पहली बार  भारतीय अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव का महाआयोजन कराने जा रही है।  छह दिवसीय इस महोत्सव में विभिन्न देशों के कलाकार, विद्वान, नृत्यआलोचक और प्रदर्शनकारी शामिल होंगे। महोत्सव का उद्देश्य कलाकारों के लिए स्थायी करियर के अवसरों पर विचार विमर्श करना, नीतिगत सुझाव प्रस्तुत करना और प्रदर्शनकारी कला के लिए संस्थागत समर्थन को बढ़ावा देना है।

महोत्सव का उद्घाटन समारोह 16 अक्टूबर को सुबह 9 बजे, ए.पी. शिंदे संगोष्ठी भवन, एनएएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा, नई दिल्ली में होग।  जिसमें केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि होंगे। इस मौके पर संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष संध्या पुरेचा, पदम विभूषण सोनल मानसिंह, पद्म विभूषण डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम, पद्म विभूषण डॉ. राजा और राधा रेड्डी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संतिश्री धूलिपुडी पंडित और मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य भी शामिल होंगे।

 नृत्य महोत्सव में क्या क्या होगा

इस महोत्सव में पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री सम्मानित कलाकारों द्वारा संचालित 30 सत्रों का आयोजन होगा। ये सत्र भारतीय नृत्य की ऐतिहासिक और समकालीन प्रगति, नृत्य शिक्षा में प्रशिक्षण पद्धतियों और प्रदर्शनकारी कलाओं के शोध-पद्धतियों पर केंद्रित होंगे।

उधर  प्रख्यात फिल्म अभिनेत्री, नृत्यांगना और लोकसभा सांसद हेमा मालिनी, 21 अक्तूबर को समापन समारोह का विशेष आकर्षण होंगी।

इन चर्चाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नृत्य में योगदान, सीएसआर फंडिंग के जरिए कला परियोजनाओं का समर्थन, और कलाकारों के लिए आर्थिक मॉडल पर भी चर्चा की जाएगी।

विशेषज्ञ और नीति-निर्माता कोरियोग्राफी, शोध, और फिल्म-उद्योग से संबंधित करियर विकल्पों पर भी विचार करेंगे ताकि कला जगत में संतुलित और स्थायी वातावरण बनाया जा सके।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनी का होगा आयोजन

हर शाम कमानी सभागार  में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित होंगी, जिनमें डॉ. सोनल मानसिंह और रामली इब्राहिम जैसे प्रसिद्ध कलाकारों की प्रस्तुतियाँ भी होंगी। इन प्रस्तुतियों में भारतीय और विदेशी कलाकारों की प्रतिभा का प्रदर्शन होगा, जिससे दर्शक एक समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव प्राप्त करेंगे।

इसके साथ ही, महोत्सव में दो प्रमुख प्रदर्शनियाँ भी आयोजित की जाएँगी। पहली प्रदर्शनी ललित कला अकादमी, रवींद्र भवन में होगी, जिसमें संगीत नाटक अकादमी के ऐतिहासिक योगदान को दर्शाया जाएगा। दूसरी प्रदर्शनी ए.पी. शिंदे संगोष्ठी भवन में आयोजित होगी, जिसमें महोत्सव में भाग लेने वाले कलाकारों और प्रस्तुतकर्ताओं की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा।

युवा नृत्यकारों के लिए नए अवसर

महोत्सव के उद्देश्यों पर बात करते हुए, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने कहा, “कलाकारों को लंबे समय से आर्थिक चुनौतियों, सीमित संस्थागत समर्थन और बदलती आर्थिक परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस महोत्सव के माध्यम से, हम इन चुनौतियों का समाधान करने और युवा नृत्यकारों के लिए नए अवसर पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में भी पारंपरिक नृत्य-रूप प्रासंगिक बने रहें।”

सभी को एक मंच पर लाने का प्रयास

डॉ. पुरेचा ने कहती हैं, “यह महोत्सव केवल कलाकारों का जमावड़ा नहीं है, बल्कि उद्यमियों, सरकारी अधिकारियों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और छात्रों को एक मंच पर लाने का प्रयास है। हम कला के आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर चर्चा करेंगे और नीतिगत सुझाव तैयार करेंगे, जो भारत की कला और संस्कृति के भविष्य को आकार देंगे।”

कलाकार मिलकर अपने अनुभव साझा कर सकेंगे

संगीत नाटक अकादमी के सचिव राजू दास ने महोत्सव के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह महोत्सव केवल प्रस्तुतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ कलाकार मिलकर अपने अनुभव साझा कर सकते हैं और स्थायी समाधान खोज सकते हैं। यह अनूठा आयोजन प्रदर्शनकारी कलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

युवा भागीदारी और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा

महोत्सव में युवाओं की भागीदारी को विशेष महत्व दिया गया है और भारतीय प्रवासी समुदाय से भी सहयोग की उम्मीद की जा रही है। यह आयोजन विद्वानों, कलाकारों और प्रदर्शनकारियों के विविध प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करेगा और भारत की समृद्धलोक, जनजातीय, और समकालीन नृत्य परंपराओं को उजागर करेगा।

कला जगत के स्थायी भविष्य की ओर एक कदम

यह अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव 1958 में आयोजित ऐतिहासिक संगोष्ठी की विरासत को आगे बढ़ाता है, जिसे संगीत नाटक अकादमी ने आयोजित किया था। यह महोत्सव केवल कला का उत्सव नहीं है, बल्कि स्थिरता, सशक्तिकरण, और नीतिगत समर्थनपर संवाद के लिए एक मंच भी है। इन चर्चाओं और प्रस्तुतियों के माध्यम से, महोत्सव प्रदर्शनकारी कलाओं के लिए एक समर्थनकारी वातावरण तैयार करने का प्रयास करेगा, जिससे कलाकारों को उनकी कला के लिए पहचान, फंडिंग, और अवसर मिल सकें।

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