Jammu Kashmir Elections 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सभी चरणों में शांतिपूर्ण संपन्न हुआ मतदान, क्षेत्र के लिए एक नई सुबह का संकेत

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए मतदान आज शांतिपूर्ण और उत्सव के माहौल में संपन्न हो गया। क्षेत्र के प्राकृतिक नज़ारों के बीच, मतदान केंद्रों पर कतारों में धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहे मतदाताओं के दृश्यों ने लोकतंत्र में लोगों की गहरी आस्था को उजागर किया। तीन चरणों में हुए चुनावों के दौरान सभी जिलों में उत्सव का माहौल और उत्साहपूर्ण भागीदारी साफ दिखी, जो यहां नागरिक भागीदारी की एक नई भावना और एक नए युग की उम्मीद दर्शाती है, जहां लोग अपना भविष्य खुद तय कर सकते हैं। सीईसी श्री राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्तों श्री ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू के साथ जम्मू और कश्मीर में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान सुनिश्चित करने के अपने वादे को पूरा किया है।

सीईसी राजीव कुमार ने कहा कि “जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों ने लोकतंत्र की भावना को और गहरा बनाया है, जो इतिहास के पन्नों में हमेशा गूंजता रहेगा और आने वाले कई सालों तक क्षेत्र की लोकतांत्रिक भावना को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने इन चुनावों को जम्मू-कश्मीर के लोगों को समर्पित किया, जिन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दृढ़ संकल्प और विश्वास दिखाया। शांतिपूर्ण और भागीदारीपूर्ण तरीके से हुए ये चुनाव ऐतिहासिक हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा से प्रेरित होकर लोकतंत्र पहले से कहीं अधिक गहराई से जड़ें जमा रहा है।“

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यह चुनाव 16 अगस्त, 2024 को जम्मू-कश्मीर में आम चुनावों की घोषणा के दौरान दिए गए, सीईसी राजीव कुमार के विश्वास मत के मुताबिक ही लोकतंत्र के पक्ष में एक शानदार बानगी थी। उन्होंने तब कहा था कि “दुनिया, जम्मू-कश्मीर में नापाक और शत्रुतापूर्ण हितों की हार और लोकतंत्र की जीत का गवाह बनेगी।”

तीसरे और अंतिम चरण में 40 विधानसभा क्षेत्रों में आज सुबह 7 बजे शुरू हुआ मतदान बिना किसी हिंसक घटना के शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। शाम 7 बजे तक मतदान केंद्रों पर 65.58% मतदान दर्ज किया गया।

जम्मू-कश्मीर 2024 के जीई से एलए तक के मुख्य बिंदु

निर्विघ्नसुचारु एवं शांतिपूर्ण मतदान का संचालन

आयोग की सतर्क योजनाओं और निरंतर निगरानी की वजह से यह सुनिश्चित हो पाया है कि इस बार जम्मू-कश्मीर चुनाव सुचारू और सुव्यवस्थित रुप से हों। इसीलिए अब तक कोई पुनर्मतदान दर्ज नहीं किया गया है। वर्ष 2014 में एसी की संख्या 83 से बढ़कर, वर्ष 2024 में 90 होने के बावजूद, इस बार चुनाव 3 चरणों में पूरे हुए, जबकि वर्ष 2014 में 5 चरणों में चुनाव कराए गए थे। चुनाव से संबंधित कानून-व्यवस्था की कोई बड़ी घटना भी सामने नहीं आई, जो एक महत्वपूर्ण सुधार है। वर्ष 2014 में 170 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 87 मतदान के दिन की थीं। शुरू से ही चुनाव प्रचार के लिए अनुमति आवंटित करने में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए थे, जिसके फलस्वरूप जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृष्य में एक जीवंत अभियान देखने को मिला। इन चुनावों में राजनीतिक पदाधिकारियों की भी मनमाने ढंग से निरोधक हिरासत से संबंधित कोई शिकायत नहीं आई है, जो अपने आप में अभूतपूर्व है।

आयोग ने मतदान के दिन से ठीक पहले मतदान केंद्रों को क्लब करने के खिलाफ सख्त निर्देश दिया था और उसी के अनुसार, मतदाताओं ने अपने वास्तविक मतदान केंद्र स्थान पर मतदान किया, जबकि 2014 में अंतिम क्षणों में 98 मतदान केंद्रों को स्थानांतरित कर दिया गया था। धन और बाहुबल की भूमिका को भी काफी हद तक कम कर दिया गया है। प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वित प्रयासों से सतर्कता और ज़ब्ती को भी मजबूत किया गया है, जिसके नतीजतन 130 करोड़ रुपये की जब्ती हुई है, जो जम्मू-कश्मीर चुनावों के इतिहास में सबसे अधिक है। यहां तक ​​कि ये आंकड़ा लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान की गई 100.94 करोड़ रुपये की जब्ती से भी ज्यादा है। अधिकांश ज़ब्ती में 110.45 करोड़ रुपये की ड्रग शामिल हैं। ज्यादा निगरानी के लिए 12 एसी को संवेदनशील स्थल के रूप में पहचाना गया।

मतदाताओं के लिए बिना किसी डर या भय के वोट डालने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय किए गए थे। पूरे 90 एसी में, वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में 20% मतदान केंद्रों की तुलना में मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 100% मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई थी।

मतदाताओं के उत्साह में बढ़ोत्तरी

मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के भरसक प्रयासों के बेहतर परिणाम मिले हैं। कुल मिलाकर, 2014 से मतदाताओं के आकार में उल्लेखनीय वृद्धि (~23%) हुई है। उत्साहजनक रूप से, महिला मतदाताओं में 27.90% की वृद्धि के साथ मतदाताओं में लिंग विविधीकरण भी स्पष्ट रुप से दिखा। युवा मतदाताओं, विशेषकर पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं ने शांति, लोकतंत्र और प्रगति की आकांक्षाओं को मूर्त रूप दिया और मतदान के बाद बेहद गर्व के साथ, अपनी स्याही लगी उंगलियों को दिखाया।

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लोकतंत्र गहरा हुआ- राजनैतिक योगदान में बढ़ोत्तरी

जम्मू-कश्मीर में 2024 जीईएलए में, वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या में 7% की वृद्धि देखी गई है। खुशी की बात ये है कि महिला उम्मीदवारों की संख्या में भी एक बड़ा बदलाव देखने को मिला, जो इसी अवधि में 28 से बढ़कर 43 हो गई, जबकि स्वतंत्र उम्मीदवारों में 26% की वृद्धि देखी गई, जो चुनावी परिदृश्य और जमीनी स्तर में राजनीतिक भागीदारी में योगदान दर्शाता है। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद, इतिहास में पहली बार, जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 9 सीटें आरक्षित की गईं, जिसके परिणामस्वरूप अधिक समावेशी और भागीदारीपूर्ण चुनाव हुआ। पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) ने भी वर्ष 2014 में 138 से, वर्ष 2024 में 236 होने तक भागीदारी में उल्लेखनीय 71% की वृद्धि का प्रदर्शन किया। विभिन्न दलों द्वारा प्रचार के लिए, राज्य एमसीएमसी द्वारा अभियान सामग्री के पूर्व-प्रमाणन के लिए कुल 330 अनुरोध प्राप्त हुए थे, जोकि वर्ष 2014 के एलए चुनाव में 27 थे।

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बहिष्कार की जगह लोकतंत्र को मिली तरजीह

इन चुनावों में उन क्षेत्रों में भी मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो उग्रवाद और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बहिष्कार के लिए जाने जाते रहे हैं। विधान सभा चुनाव 2024 में पुलवामा एसी में मतदान प्रतिशत 2014 में हुए चुनावों की तुलना में 12.97% बढ़ गया है। शोपियां के ज़ैनपोरा एसी में 9.52% की वृद्धि देखी गई, जबकि श्रीनगर के ईदगाह एसी में 9.16% की वृद्धि दर्ज की गई, जो चुनावी प्रक्रिया में लोगों को बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाता है।

सुदूर इलाकों और सीमाओं पर दिखी लोकतंत्र की झलक

जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में, आयोग ने सबसे दूरस्थ स्थानों पर भी मतदान केंद्र (पीएस) स्थापित कर, ये सुनिश्चित किया कि कोई मतदाता अपने मताधिकार से वंचित ना रह जाए। दूसरे चरण में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास 106 पीएस और तीसरे चरण में 363 पीएस के साथ 469 विशेष मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे,  ताकि दूरदराज और संवेदनशील क्षेत्रों में मतदाता भी अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर सकें।

सीमा मतदान केंद्र – दूसरा चरण:

ज़िला पुंछ राजौरी कुल
पीएस संख्या 55 51 106

सीमा मतदान केंद्र – तीसरा चरण:

ज़िला सांबा जम्मू बारामूला बांदीपुरा कठुआ कुपवाड़ा कुल
पीएस संख्या 34 152 40 31 29 77 363

 

राजौरी जिले के सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र 84-नौशेरा में मतदान केंद्र 05-खंबा ए में लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान प्रतिशत 78% से बढ़कर, विधानसभा चुनाव 2024 में 84% हो गया। मतदान केंद्र 07-भवानी-ए में लोकसभा चुनाव 2024 में 70.66% मतदान के मुकाबले विधानसभा चुनाव 2024 में 82.01% दर्ज किया गया। थानामंडी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 19 मतदान केंद्र एलओसी के पास बनाए गए थे, जहां 97-सरोला और 99-सरोला ए पर मतदान प्रतिशत क्रमशः 76% और 79% तक दर्ज किया गया। किश्तवाड़ जिला मुख्यालय से 46 किमी दूर 1600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फेलगोवाड़ी मतदान केंद्र पर सालाना दो महीने बर्फबारी के बावजूद 97.99% मतदान हुआ।

विविध आबादी की बढ़ती भागीदारी

धड़कई गांव, जिसे सुनने और बोलने में अक्षम लोगों की अधिकता के कारण, “साइलेंट विलेज ऑफ इंडिया” कहा जाता है, वहां 1,724 पंजीकृत मतदाताओं में से 1,005 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें बोलने और सुनने में अक्षम 30 मतदातों में से 23 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

इंदरवाल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र (किश्तवाड़ जिले) के मतदान केंद्र 146-गोरो में 100% मतदान दर्ज किया गया, जिसमें सभी 65 पंजीकृत मतदाताओं ने पहले चरण में अपना वोट डाला।

कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं को भी जम्मू (19), उधमपुर (1) और दिल्ली (4) में स्थापित 24 विशेष मतदान केंद्रों के ज़रिए अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार दिया गया। इससे पहले, आयोग ने मुश्किल फॉर्म-एम को खत्म करके और स्व-प्रमाणन को सक्षम करके, कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं के लिए प्रक्रिया को आसान बना दिया था। तीनों चरणों में कुल मिलाकर इन मतदान केंद्रों पर 21395 प्रवासी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में पहली बार शुरू की गई होम-वोटिंग सुविधा ने लोकतंत्र को उन लोगों के दरवाजे तक पहुंचाया, जो शारीरिक सीमाओं के चलते अक्षम हैं। 85 वर्ष से अधिक आयु के कई मतदाताओं और 40% बेंचमार्क विकलांगता वाले कई दिव्यांग मतदाताओं ने अपने घरों से ही सुविधाजनक मतदान करने का विकल्प चुना। मतपत्र की गोपनीयता बरकरार रखते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई। कुल मिलाकर, 85 वर्ष से ज्यादा उम्र के 3381 बुजुर्ग मतदाताओं और 2734 दिव्यांग मतदाताओं ने अपना वोट डालने के लिए घरेलू मतदान सुविधा का उपयोग किया।

मतदान केंद्रों पर मतदाताओं का अनुभव बेहतर बनाना

मतदान के अनुभव को सुखद और यादगार बनाने के लिए ईसीआई की प्रतिबद्धता के तहत  सभी मतदान केंद्रों पर पीने का पानी, बिजली, शौचालय, रैंप, फर्नीचर, पर्याप्त आश्रय, हेल्पडेस्क, व्हील चेयर और स्वयंसेवकों जैसी सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाएं (एएमएफ) प्रदान की गईं। आरामदायक मतदान का अनुभव देने के लिए प्रत्येक एसी में एक मतदान केंद्र ऐसा स्थापित किया गया था, जिसका प्रबंधन विशेष रूप से महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा किया गया। मतदाताओं की सुविधा के लिए, सीईसी श्री राजीव कुमार ने सभी डीईओ को विशेष रूप से निर्देश दिया था कि वे मतदाताओं की सुविधा के लिए कतारों में बेंच उपलब्ध कराने सहित सभी मतदान केंद्रों पर सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित करें।

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सुलभ और समावेशी चुनाव आयोग का एक प्रमुख उद्देश्य है। इसे सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक एसी में एक-एक मतदान केंद्र विकलांग व्यक्तियों, महिलाओं और युवाओं द्वारा संचालित किया गया था, जिनकी संख्या प्रत्येक श्रेणी में 90 थी। ईसीआई पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ चुनावों के लिए भी अग्रणी प्रयास कर रहा है और इसके लिए 90 हरित मतदान केंद्र भी स्थापित किए गए।

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तकनीक के ज़रिए पारदर्शिता और पहुंच को बढ़ाना

जम्मू-कश्मीर चुनावों के दौरान कई ऐप्स ने मतदाताओं और उम्मीदवारों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नो योर कैंडिडेट (केवाईसी) ऐप, जो मतदाताओं को आपराधिक रिकॉर्ड सहित उम्मीदवार के आवश्यक विवरण प्रदान करता है, को 6.45 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया गया, जिससे सही निर्णय लेने में मदद मिली। मतदाता जानकारी और सेवाओं के लिए वन-स्टॉप समाधान, वोटर हेल्पलाइन ऐप को 1.14 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया गया। दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए डिज़ाइन किया गया सक्षम ऐप, उपयोगकर्ताओं को व्हीलचेयर सहायता जैसी सेवाओं का अनुरोध करने और मतदाता पंजीकरण करने में सक्षम बनाता है। इसके अतिरिक्त, सुविधा कैंडिडेट ऐप ने उम्मीदवारों के लिए नामांकन और अनुमति प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मदद की। अभियान-संबंधी अनुमतियों के लिए 7200 से अधिक आवेदन स्वीकृत किए गए। सीविजिल के माध्यम से चुनाव संबंधी उल्लंघन की 541 शिकायतें प्राप्त हुईं।

शाम 7 बजे तक 65.58% के प्रोविज़नल मतदान के आंकड़े आरओ द्वारा वोटर टर्नआउट ऐप पर एसी वार अपडेट किए जाते रहेंगे। जैसे जैसे मतदान दल भौगोलिक/तार्किक स्थितियों के आधार और शर्तों और वैधानिक कागजात की जांच के बाद और पुनर्मतदान पर विचार, यदि कोई हो, के बाद औपचारिक रूप से मतदान बंद करेंगे और मतदान केंद्रों से लौटेंगे, इन आंकड़ों को अपडेट किया जाता रहेगा। हितधारकों की सुविधा के लिए आयोग प्रोविज़नल मतदान आंकड़ों के साथ एक और प्रेस नोट भी जारी करेगा।

चरण-3 में जिलेवार अनुमानित मतदान प्रतिशत (शाम 7 बजे)

क्रमांक ज़िले एसी संख्या अनुमानित मतदान प्रतिशत
1 बांदीपुरा 3 64.85
2 बारामूला 7 55.73
3 जम्मू 11 66.79
4 कठुआ 6 70.53
5 कुपवाड़ा 6 62.76
6 सांबा 3 72.41
7 ऊधमपुर 4 72.91
उपर्युक्त 7 ज़िले 40 65.58

 

3 चरण में 7 जिलों में फैले 40 विधानसभा क्षेत्रों में हुआ मतदान

तीसरे चरण में 7 जिलों में फैले 40 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं के लिए बनाए गए 5060 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ। इस चरण के चुनाव में 387 पुरुष और 28 महिला उम्मीदवारों सहित 415 उम्मीदवार मैदान में थे। तीसरे चरण में जिन सात जिलों में मतदान हुआ वे हैं – बांदीपोरा, बारामूला, जम्मू, कठुआ, कुपवाड़ा, सांबा और उधमपुर।

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