Junior Mehmood: जूनियर महमूद- एक ऐसा चाइल्ड स्टार जिसके साथ बड़े से बड़े सितारे काम करना चाहते थे

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

जूनियर महमूद (Junior Mehmood) सिनेमा के एक ऐसे बाल कलाकार रहे, जिनके नाम का कभी डंका बजता था। बाल कलाकार के रूप में जितनी लोकप्रियता और जितनी फिल्में जूनियर महमूद (Junior Mehmood) को मिलीं उतनी और किसी को नहीं। गत 8 दिसंबर को जब इस कलाकार के निधन की खबर आई तो कई पुरानी यादें ताजा हो आयीं।

मेरी जूनियर महमूद (Junior Mehmood) से अच्छी मुलाक़ात 1990 के दौर में तब हुई जब वह करीब 34 साल के हो चुके थे। तब वह कुछ फिल्मों में काम करने के साथ निर्माता बनकर अपनी फिल्म बनाने में लगे थे।

मुंबई में फिल्म सिटी में एक शूटिंग के दौरान मेरी उनसे मुलाक़ात हुई तो उन्होंने मुझे अपने घर आने की गुजारिश की। वह मुझे अपनी बनाई एक फिल्म दिखाना चाहते थे। मैं उनके घर गया फिल्म देखी और मैंने अपने सुझाव दिये। उसके कुछ बरस बाद वह दिल्ली आए तो मेरे घर भी आए।

लेकिन चंद दिन पहले जब यह खबर आई कि वह कैंसर की चौथी स्टेज में हैं। तो उनकी ताजा तस्वीरें देखकर दिल पसीज गया। जूनियर समझ गए थे कि वह अब बचेंगे नहीं। ऐसे में उन्होंने अभिनेता जीतेंद्र और अपना बाल सखा राजू श्रेष्ठा और सचिन से मिलने की इच्छा जताई। जीतेंद्र, सचिन और राजू तो उनसे मिलने पहुंचे ही। साथ ही जॉनी लीवर, यशपाल शर्मा जैसे कुछ और कलाकार भी उनसे मिलने गए।

मुंबई में 15 नवंबर 1956 को जन्मे नईम सईद को जूनियर महमूद (Junior Mehmood) नाम तब मिला जब फ़िल्मकार भप्पी सोनी ने 1967 में फिल्म ‘ब्रह्मचारी’ में लिया। इस फिल्म में नईम ने महमूद के ‘गुमनाम’ फिल्म में गाये गीत ‘काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं’ पर इतना सुंदर अभिनय किया कि वह जूनियर महमूद के नाम से मशहूर हो गए।

देखते देखते जूनियर (Junior Mehmood) के पास फिल्मों की लाइन लग गयी। दो रास्ते, कटी पतंग, घर घर की कहानी, हाथी मेरे साथी, आन मिलो सजना, कारवां, अमीर गरीब, हरे रामा हेरे कृष्णा, गीत गाता चल जैसी कई सफल फिल्में उन्होंने बाल कलाकार के रूप में कीं।

उस दौर में जूनियर महमूद का यह हाल था कि वह तीन तीन शिफ्ट में काम करते थे। एक दिन में एक शिफ्ट में काम करने के लिए उन्हें तब दो से तीन हज़ार रुपए मिलने लगे थे। उनके पास तब अपनी कार थी। दुनिया भर के स्टेज शो में जूनियर की जबर्दस्त डिमांड थी। इससे जूनियर महमूद फिल्म इंडस्ट्री के चाइल्ड स्टार बन गए थे।

जूनियर महमूद की लोकप्रियता का आलम यह था कि बड़े से बड़े फिल्म सितारे उन्हें पसंद करते थे। जूनियर महमूद के साथ काम करना चाहते थे। फिल्म वितरक निर्माताओं को कहते थे कि जूनियर महमूद को फिल्म में जरूर लेना। बच्चे-बड़े सभी दर्शक उसे पसंद करते हैं।

वयस्क होने पर जूनियर (Junior Mehmood) को फिल्में तो मिलती रहीं। जैसे मैं तेरे लिए, आखिरी मुक़ाबला, आज का अर्जुन, दौलत की जंग, गुरुदेव, बेवफा सनम और जुदाई। लेकिन उनको तब पहले जैसी लोकप्रियता नहीं मिली।

बाद में जूनियर महमूद (Junior Mehmood) ने प्यार का दर्द है मीठा मीठा और तेनालीरामा जैसे कुछ सीरियल में भी काम किया। कुल 250 से अधिक फिल्म करने वाले इस अभिनेता ने कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों का निर्माण भी किया। लेकिन फिल्म निर्माण में जूनियर महमूद (Junior Mehmood) को ज़्यादातर नुक्सान ही उठाना पड़ा।

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