Amjad Khan Birth Anniversary: अमजद खान- भारतीय सिनेमा का सर्वाधिक लोकप्रिय खलनायक गब्बर सिंह

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

खलनायक के रूप में कितने ही अभिनेताओं से अपनी शानदार पारी खेली है। प्राण तो बेमिसाल रहे ही, अजीत (Ajit) ने ‘लॉयन’ (Lion) और अमरीश पुरी (Amrish Puri) ने ‘मोगेम्बो’ (Mogambo) जैसे अपने पात्रों से खलनायकी को एक नया शिखर दिया। लेकिन सिनेमा की पूरी सदी में खलनायक के रूप में जो पात्र सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ वह है गब्बर सिंह (Gabbar Singh)। फिल्म ‘शोले’ (Sholay) में गब्बर बनकर अभिनेता अमजद खान (Amjad Khan) अमर हो गए । जिस तरह ‘शोले’ (Sholay) के बिना हमारी फिल्मों का इतिहास नहीं लिखा जा सकता। ऐसे ही गब्बर सिंह (Gabbar Singh) के बिना भारतीय सिनेमा की खलनायिकी का सफर अधूरा है।

यूं अमजद खान (Amjad Khan) ने अपनी ज़िंदगी में करीब 150 फिल्मों में काम किया। खलनायकी के साथ उन्होंने कॉमेडी की तो शरीफ आदमी की भूमिकाएँ भी। यहाँ तक अकबर औए वाजिद अली शाह जैसे ऐतिहासिक किरदार भी। सभी में वह खूब जमे, कभी विलेन के रोल में टाइपकास्ट नहीं हुए। लेकिन उनका एक गब्बर का किरदार उनकी सभी भूमिकाओं पर भारी रहा।

12 नवंबर 1942 को जन्मे अमजद खान (Amjad Khan) यदि आज होते तो 83 साल के होते। अमजद (Amjad Khan) के पिता जयंत और उनके भाई इम्तियाज़ खान भी जाने माने अभिनेता थे। जयंत ने बतौर खलनायक तो सिनेमा में अपनी शानदार पहचान बनाई ही। साथ ही चरित्र अभिनेता के रूप में भी उन्होंने कई अच्छी फिल्में कीं। अपने पिता को अभिनय की दुनिया में देख अमजद (Amjad Khan) को भी अभिनेता बनने का शौक जाग उठा। उसी के चलते अमजद (Amjad Khan) ने बाल कलाकार के रूप में 1951 में अपने पिता के साथ ‘नाजनीन’ फिल्म से अभिनय की अपनी पहली पारी शुरू की। जिसमें मधुबाला नायिका थीं। इसके बाद राज कपूर की फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ सहित दो तीन और फिल्मों में भी अमजद (Amjad Khan) ने बाल कलाकार, किशोर कलाकार रूप में काम किया। ‘अब दिल्ली दूर नहीं तक’ अमजद (Amjad Khan) 17 साल के हो चुके थे।

इस दौरान अमजद (Amjad Khan) ने अभिनय की जगह निर्देशन में जाने का सपना सँजोया। इसके लिए वह ‘मुगल-ए-आजम’ के निर्देशक के आसिफ के सहायक निदेशक बन गए। जो उन दिनों निम्मी और संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) को लेकर ‘लव एंड गॉड’ (Love And God) फिल्म बना रहे थे। लेकिन इस फिल्म के साथ कई दुर्घटनाएँ होती रहीं। जिससे यह फिल्म बरसों अधर में लटकती रही। तब अमजद (Amjad Khan) फिर से अभिनय की दुनिया में लौटे।

पहले उन्हें चेतन आनंद (Chetan Anand) ने अपनी फिल्म ‘हिंदुस्तान की कसम’ (Hindustan Ki Kasam) में एक भूमिका दी। इसके बाद 1974 में रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) ने अपनी फिल्म ‘चरस’ (Charas) के लिए अमजद (Amjad Khan) को लिया। और फिर रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) ने ‘शोले’ (Sholay) में। लेकिन ‘शोले’ (Sholay) पहले प्रदर्शित हो गयी। उसके बाद अमजद (Amjad Khan) स्टार बन गए तो सागर ने ‘चरस’ (Charas) में उनकी भूमिका और बड़ी कर दी।

‘शोले’ (Sholay) के गब्बर सिंह (Gabaar Singh) के रूप में अमजद खान (Amjad Khan) को जो सफलता-लोकप्रियता मिली वह किसी से छिपी नहीं है। अपने अभिनय, अंदाज़ और संवाद से अमजद भारतीय सिनेमा के सर्वाधिक सशक्त और लोकप्रिय खलनायक बन गए। उनके बोले गए संवाद घर घर गूंजने लगे। ‘’अरे ओ सांभा कितना इनाम रखे है सरकार हम पर।‘’ या फिर ‘’यहाँ से पचास पचास कोस दूर गाँव में, जब बच्चा रात को रोता है। तो माँ कहती है बेटा सोजा। सोजा नहीं तो गब्बर आ जाएगा।‘’ गब्बर सिंह (Gabaar Singh) के ये संवाद आज भी नहीं भुलाए जा सके हैं।

हालांकि ‘शोले’ (Sholay) के बाद 1976 में बॉम्बे-गोवा मार्ग पर अमजद खान (Amjad Khan) एक बड़ी दुर्घटना का शिकार हो गए। उनकी कई पसलियाँ टूट गईं। टांग में फ्रेक्चर हो गया। इससे उन्हें काफी दिन तक बिस्तर पर रहना पड़ा। कुछ ठीक हुए तो एक बार फिर दुर्घटना और एक बार उनके चेहरा लकवा ग्रस्त हो गया। कोई और होता तो टूट जाता लेकिन अमजद (Amjad Khan) जानते थे-‘’जो डर गया सो मर गया।‘’

वह हर बार ठीक होते चले गए। फिल्में भी करते रहे। लेकिन पहले खुद को फिट रखने के लिए वह जो नियमित व्यायाम करते थे, अब डॉक्टर ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही उन्हें काफी दिन स्टेरॉयड लेनी पड़ी। इससे अमजद (Amjad Khan) का वजन काफी बढ़ गया। फिर 27 जुलाई 1992 को अमजद (Amjad Khan) को दिल का दौरा पड़ा और वह सिर्फ 51 बरस की उम्र में चल बसे।

अमजद खान (Amjad Khan) अपनी बातचीत में अक्सर कहते थे कि उनकी उम्र चाहे लंबी न हो मगर अच्छी हो। वह ऐसे काम करें कि उन्हें सब याद रखें। हुआ भी कुछ ऐसा ही। हम उनको आज भी शिद्दत से याद करते हैं। उनके खाते में एक से एक सफल फिल्म है। अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के साथ तो अमजद (Amjad Khan) ने सर्वाधिक फिल्में कीं।

उनकी यादगार फिल्मों में परवरिश, कस्मेवादे, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, कालिया, याराना, नटवरलाल, नसीब, सुहाग, सत्ते पे सत्ता, महान, नास्तिक, देश प्रेमी, देस परदेस, लूटमार, लव स्टोरी, बगावत, माँ कसम, हिम्मतवाला, धर्म काँटा, रुदाली, शतरंज के खिलाड़ी, मीरा और लेकिन जैसी कितनी ही फिल्में हैं। अमजद (Amjad Khan) को दुनिया से विदा हुए अब 31 बरस हो गए हैं लेकिन अभी तक कोई और खलनायक उनके गब्बर सिंह (Gabbar Singh) वाले अभिनय के  शिखर को नहीं छू सका है।

Related Articles

Back to top button